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तो अब बूंद-बूंद को तरसेगी दुनिया! पानी को लेकर होने वाला है 25 देशों में त्राहिमाम, भारत में भी मंडराया खतरा


हाइलाइट्स

दुनिया भर में जलसंकट अगले 27-28 सालों में करीब 60 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है
2050 तक भारत, मेक्सिको, मिस्र और तुर्की के सकल घरेलू उत्पाद पर ज्‍यादा पड़ेगा प्रभाव
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका की 83% आबादी अत्यधिक उच्च जल संकट का कर रही सामना

Global Water Scarcity: दुन‍िया की एक चौथाई आबादी आज जल संकट (Global Water Scarcity) से जूझ रही है. जनसंख्‍या में तेजी हो रही वृद्ध‍ि, शहरीकरण, औद्योगीकरण, जलवायु परिवर्तन और अकुशल जल प्रबंधन प्रथाओं जैसे कारकों के संयोजन की वजह से पानी की कमी की व्यापक समस्या पैदा होती जा रही है. आशंका जताई जा रही है क‍ि आने वाले समय में पानी की कमी के गंभीर और दूरगामी पर‍िणाम हो सकते हैं. यह सभी समाज और पर्यावरण के व‍िभ‍िन्‍न पहलुओं को ज्‍यादा प्रभाव‍ित कर सकते हैं. इसके चलते पानी की कमी का मुद्दा वैश्‍व‍िक च‍िंता का व‍िषय बना हुआ है.

एनडीटीवी में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट के मुताब‍िक वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस के हाल‍िया आंकड़ों के अनुसार पानी की कमी वर्तमान में दुनिया भर के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है. वैश्विक समुदाय एक अद्वितीय जल आपातकाल का सामना कर रहा है, जिसमें दुनिया की एक चौथाई आबादी के बराबर 25 देश मौजूदा समय में वार्षिक जल तनाव (जल तनाव या जल संकट) के असाधारण ऊंचे स्तर से जूझ रहे हैं. वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो सालाना कम से कम एक महीने के लिए दुनिया की आधी आबादी के करीब 4 अरब लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं. माना जा रहा है क‍ि यह जलसंकट अगले 27-28 सालों में 2050 तक करीब 60 फीसदी तक बढ़ सकता है. इसके बेहद ही गंभीर और दूरगामी पर‍िमाण सामने आ सकते हैं.

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आंकड़ों की माने तो साल 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद में $70 ट्रिलियन (वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 31%) उच्च जल तनाव के संपर्क में आ जाएगा जोक‍ि 2010 में $15 ट्रिलियन (वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24%) से अधिक है. हर चार साल में जारी होने वाली रिपोर्ट में खुलासा क‍िया गया है कि साल 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद के आधे से अधिक के लिए केवल 4 देश भारत, मेक्सिको, मिस्र और तुर्की इस समस्‍या से ज्‍यादा प्रभाव‍ित होंगे.

रिपोर्ट से पता चला कि 25 देश, जिनमें दुनिया की एक चौथाई आबादी शामिल है, हर साल अत्यधिक गंभीर जल संकट से गुजर रही है. इनमें बहरीन, साइप्रस, कुवैत, लेबनान और ओमान पर सबसे ज्‍यादा प्रभाव पड़ रहा है. सूखे की छोटे अवध‍ि काल के दौरान भी ये सभी क्षेत्र पानी की कमी की चपेट में आ सकते हैं.

सबसे अधिक जल तनाव का सामना करने वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका हैं, जहां 83% आबादी अत्यधिक उच्च जल संकट का सामना कर रही है. इसके अलावा दक्षिण एशिया की करीब 74 फीसदी आबादी का अहम ह‍िस्‍सा इसी तरह की स्थितियों के संपर्क में है.

डब्ल्यूआरआई जल कार्यक्रम से एक्वाडक्ट डेटा लीड और रिपोर्ट लेखक सामंथा कुज़्मा ने सीएनएन को बताया क‍ि पानी की कमी का होना दर्शाता है क‍ि हम इसको अच्‍छी तरह से प्रबंध‍ित नहीं कर रहे हैं जबक‍ि ग्रह पर पानी सबसे महत्‍वपूर्ण संसाधन है. उनका कहना कि वह करीब 10 सालों से पानी पर काम कर रहे हैं. लेक‍िन दुर्भाग्‍य की बात यह है क‍ि पूरे 10 साल की कहानी करीब-करीब वही रही है.

उनका कहना है क‍ि तत्काल जल संकट से निपटने के लिए तत्काल उपाय आवश्यक हैं. रिपोर्ट के लेखकों ने सुझाव दिया कि यह जरूरी है कि शासन के सभी स्तर, समुदायों और व्यवसायों के साथ मिलकर भव‍िष्‍य की ज‍िम्‍मेदारी न‍िभाते हुए जल सुरक्षा की द‍िशा में सार्वभौमिक कार्य करने होंगे.

Tags: Climate Change, Water Crisis, World news in hindi



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