2014 से अब तक भारत-चीन सीमा पर किसी भी चीनी सेना की कार्रवाई या फिर उनकी सेना के जमवड़े के गुट से अपनी सेना का गठन तेजी से जारी है। चीन का पहला फ़र्स्ट मूवर एडवांटेज हुआ था। चीन ने अपनी सीमा पर कब्जा कर लिया, चीन ने अपनी सीमा पर निर्माण का काम तेजी से कर लिया और फिर उनका जोर यह हुआ कि चीन ने जो बनाया तो ठीक है लेकिन भारत अपनी सीमा पर निर्माण नहीं करेगा। दस्तावेज़ के अनुसार 2020 गलवान के बाद दो देशों के बीच साम्प्रदायिक मान्यताएँ कम हो गई हैं लेकिन इन तीन सागरों में भारत ने अपनी सीमा पर इतनी कनेक्टिविटी स्थापित कर ली है कि अब चीन की सीमा से पीछे नहीं हटेगा ।। सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि सीमा पर भारत तेजी से अपने ग्राफिक्स का निर्माण कर रहा है। मोदी सरकार की कमी है कि सीमा पर गुणवत्तापूर्ण ग्राफिक्स विकसित किया जाए जिसमें सीमा पर सभी सुविधाएं भी शामिल हैं। ताकि सीमा पर फैक्ट्री और मशीनरी हर मौसम में बनी रहे।
मोदी का भारत के फ्लोरिडा में चित्र और स्मारक पर विशेष जोर
सीमा पर ढांचागत और ढांचागत सुविधाएं देश की आंतरिक सुरक्षा, फ्लोरिडा के विकास और ढांचागत विकास में पासपोर्ट योगदान देती है। इसमें मोदी सरकार की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, इज ऑफ डुएंग बिजनेस, इज ऑफ लिविंग, सिटीजन फेंडली एप्रोच ने अहम भूमिका निभाई है। इस नेबरहुड प्रथम के तहत सिर्फ चीन ही नहीं भारत की सीमा से लगने वाले बाकी देश भी शामिल हैं। इसके तीन लक्ष्य होते हैं।
1)राशि में रह रहे भारतीयों की जिंदगी को आसान बनाना।
2) राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहतर बनाना और जब भी जरूरी हो तब सेना के निशान की जाए।
3) भारत की सीमा से जुड़े मित्र राष्ट्रों से व्यापार दोस्ती की कोशिशें तेजी से हों ताकि सिक्किम में रोजगार बढ़े।
मोदी सरकार ने अपने बजट में सीमा रेखाचित्र पर 2023 में 14387 करोड़ कर दिया। जबकि 2014 से पहले ये सिर्फ 3200 करोड़ के करीब हुआ था। चीन की सीमा पर मोदी सरकार ने 6000 किमी लंबी सड़क का निर्माण कराया। बीआरओ ने केश, मंदाकिनी से लेकर 2645 किमी सड़क प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। स्टालिन सीमा पर सदक बनाने का 1800 किमी का प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। ब्रिज, टनेल, के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है। अब मौसम के कारण रास्ता बंद होना कम हो रहा है। एलएसआई पर बसे लोगों के लिए जीवन आसान बनाना, उनके लिए इज ऑफ लिविंग, मोदी सरकार के लिए मोदी सरकार का मिशन सीमा पर सेना की उपस्थिति को मजबूत करना है। मोदी के कैबिनेट मंत्री सीमा पर कश्मीर में रात बिता रहे हैं। ये संभव हुआ क्योंकि सभी संबंधित मंत्रालय मिलजुल कर अपनी भूमिका निभा रहे थे.
भारत चीन सीमा
भारत चीन सीमा पर फ्रैंचाइज़ी पर ज़ोर डीकेएम के पीछे सबसे बड़ा कारण बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर ही है। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के आने से पहले इन देशों में मजबूती मजबूत नहीं होने की सरकारी अनदेखी के कारण ही सीमा पर सेना की जल्दी से जल्दी कमजोरियों पर असर पड़ा था। लेकिन पोस्ट समीक्षा के बाद मोदी सरकार ने कई कदम उठाए जिससे इन 9 सागरों में सीमा तक मजबूती बनी रही।
बॉर्डर रोड डैमेज बीआरओ का बजट 2013-14 में सिर्फ 3782 करोड़ था जो कि 2023-24 में 14,387 करोड़ हो गया। 2014-2022 में मिशिगन कोलम्बिया से जुड़ने के लिए 6806 किमी का निर्माण हुआ जबकि 2008-14 तक ये सिर्फ 3610 किमी था। 2014-22 तक कुल 22,439 मीटर पुल बने जबकि कांग्रेस राज में 2008-14 के बीच सिर्फ 7270 मीटर पुल का निर्माण हो पाया था। पिछले तीन सागरों में भारत चीन सीमा पर 5 टनल बनाए जा चुके हैं। 10 और टनल का निर्माण कार्य चल रहा है। इनमें से मुख्य हैं 9.02 लॉन्गकॉम और पूरे साल खुली रहने वाली अटल टनेल जो लाहौल-स्पीति घाटी को यात्रा करती है। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में सेला टनेल का काम भी पूरा हो गया है।
इसके अतिरिक्त 1800 किमी लंबे एक फ्रंटियर हाईवे पर काम चल रहा है जो कि डोमिनिक घाटियों को जोडेगा में मिलेगा। भारत को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है क्योंकि इस हाईवे का असर अमेरिका के अंदर ही नहीं, बल्कि समुद्र तट से समुद्र तट पर भी होगा। पुलों का तेजी से बढ़ना, सड़क निर्माण के लिए बाबर तकनीक और मोदी सरकार की तेजी से इन कार्यों को मंजूरी देना यह साबित करता है कि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की सीमाएं सुरक्षित करने के लिए कितनी तेजी से काम कर रही हैं।
भारत नेपाल सीमा
ये एक तरह की असाधारण सीमा है जिसका एकमात्र हिस्सा लोगों और सामानों की बिक्री के बिना है। मोदी सरकार ने इस योजना पर भी विशेष ध्यान दिया है ताकि नेपाल की सीमा से लगे बिहार और उत्तर प्रदेश को विशेष लाभ हो। बीरगंज-रक्सौल सीमा पर 2018 में, बिराटनगर जोगबनी में 2020 में, नेपालगंज-रुपईडीहागंज में 2023 में ग्रेटेड चेक पोस्ट बनाए गए हैं। भरहवा-सुनौली में आईसीपी पर काम चल रहा है और दोधारा-चांदनी में आईसीपी के लिए काम शुरू हो गया है। रेल मार्ग से भी देश को जोड़ा जा रहा है। कुर्था-बीजलपुरा रेल मार्ग शुरू हो चुका है और बीजलपुरा-बरदीबास मार्ग पर सर्वेक्षण जारी है। जोगबनी-विराटनगर लिंक पर कार्गो कार्गो के लिए 2023 मे भुगतान किया जा चुका है। रक्सौल-काठमांडू ब्रॉडी पिक्चर लाइन के लिए प्रलोभन का सर्वे का काम जारी है।
नेपाल की तराई वाली सड़कों को जोडने के 14 में 13 पूरे हो गए हैं और 2014 के मोचर की दुकानें ठीक-ठाक के बाद देशों के बीच गाडियों की छुट्टी का काम आसान हो गया है। माछी ब्रिज 2021 में पूरा हो गया था और धारचूला की महाकाली नदी के ऊपर एक ब्रिज भी बनाया गया है। 2023 में दोनों देशों के बीच एक्जिट के तहत झूलाघाट और शीर्ष पर दो और ब्रिज भारत ने बनाए हैं। बिजली की दुकान के लिए आउटलेट के अंदर के शोरूम लाइन तैयार की जा रही हैं। एक स्कार्पियो-ढालके 2016 में और कंटिया-परवानीपुर में 2017 में पूरी हो चुकी है जबकी बटवाल और गोरखपुर के बीटबर प्रशिक्षण लाइन पर काम जारी है।
अन्य तेल के लिए नेपाल की चीनी कंपनी पर्लहेरी से अमलेखगंज तक पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है। दूसरी पाइपलाइन सिलीगुड़ी से झापा तक की योजना तैयार हो गई है। इन परिभाषाओं के कारण सीमा पर के चेक नाके, रेल और सड़क यातायात, बिजली के सुपरमार्केट, पेट्रोल के सुपरमार्केट, मशीनरी के साथ-साथ प्लास्टिक के परिदृश्य भी बनाए जा रहे हैं। इससे दोनों देशों को फायदा हुआ है।
भारत-भूटान सीमा
मोदी सत्य समीक्षा के बाद अपनी सबसे पहली विदेश यात्रा भूटान में ही गए थे। मोदी सरकार का पूरा जोर है भूटान की सीमा से लगे भारत के सभी राज्यों के साथ व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा। जयगांव में एक कस्टम स्टेशन को एकीकृत चेक पोस्ट में बदल दिया गया है। भूटान ने ये भी मांग की है कि असम और बंगाल में विदेशियों के लिए अतिरिक्त चेक पोस्ट बने जिससे दोनों देशों के बीच पर्यटन का फायदा हो। गिलेफू और कोकराझाड के बीच एक रेल लिंक बनाने के लिए असम सीमा पर जगह बनाई जा रही है।
भारत-बांग्लादेश सीमा
मोदी सरकार की नेबरहुड पहली नीति के तहत नेपाल के साथ ही बांग्लादेश के साथ भी रेल, सड़क, सड़क पर वाहन, बिजली और तेल की आपूर्ति को लेकर कट्टरवादी घोषित है। भारत के चैटोग्राम और मोगला पोर्ट का उपयोग करने के काम में लाया गया ताकि हमारे राज्यों और पश्चिम बंगाल को आर्थिक लाभ हो। 5 बस बिजनेसमैन काम कर रहे हैं। 3 क्रॉस बॉर्डर यात्री ट्रेन सोवा और दो नदी मार्ग से छुट्टी के रास्ते खुले हैं ताकि लोगों से संपर्क और सहायता बनी रहे। भारत से बिजली की आपूर्ति और नेपाल से आने वाली बिजली को ट्रांजिट करना और भारत द्वारा निर्मित मैत्री पावर प्लांट बांग्लादेश की ऊर्जा मंत्री को स्थापित करना है। साथ में है नुमालीगढ़ और पार्वतीपुर पाइप लाइन प्लांट और पेट्रों मंदिरों को आसानी से पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है।
भारत म्यांमार सीमा
भारत का कहना है कि म्यांमार की आंतरिक स्थिति में वहां के ढांचे के विकास में कठिनाइयां पैदा हो रही हैं। इसमें प्रोटोटाइप एक आर्किटेक्चरल हाईवे भी शामिल है जिसमें 69 ब्रीज़ भी बने हैं। मोदी सरकार ने ‘ट्रैवल ट्रैक’ की कोशिश शुरू कर दी है।
भारत श्रीलंका सीमा
भारत सरकार ने श्रीलंका को वायदे के अनुसार दो फेरी समुद्र तट पर रखा है। नागापट्टिनम-कनकनानथुराई के साथ रामतवारम-तलईमन्नार से भारत श्रीलंका के बीच फेरी सेवा नौकरानी। मोदी सरकार ने चेन्नई और जाफना के लिए हवाई यात्रा भी शुरू की है। साथ ही विमान सेवाओं को शुरू करने पर भी विचार चल रहा है। भारत ने श्रीलंका के साथ ग्रिड बिल्डिंग की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है, पाइपलाइन और साथ ही दोनों देशों के बीच एक पुल भी बनाया जा रहा है।
अब दुनिया देख रही है कि भारत की सभी चीज़ों पर आर्किटेक्चर और आर्किटेक्चर में जबरदस्त सुधार आया है। मिशन इंफ़्रास्ट्रक्चर ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्लैजेक्ट्स दी है और साथ ही आर्थिक विकास के साधन भी दिये हैं। पीएम मोदी जानते हैं कि इसी सीमा पर रहने वाले लोगों का जीवन सुहाना बना हुआ है। 2014 में मोदी ने अपने ऑल द नेशनल एप्रोच से भारत की सीमा पर रह रहे जंगलों को बुनियादी ढांचे से जोड़ने में अप्रत्याशित सफलता पाई है। इस प्रस्ताव में ऐसा है जिसमें मंत्रालय विदेश, रक्षा, गृह, बिजली, सड़क परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिल्डर, प्लास्टिक विकास के लिए एक साथ मिलजुल कर काम करते हैं ताकि देश के लिए लक्ष्य पूरा कर सकें।
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं। किसी भी जानकारी के लिए दिए गए लेख में सत्यता/सटीकता के लेखक स्वयं का जवाब है। इसके लिए News18hindi किसी भी तरह से अप्रतिरोध्य नहीं है)
.
टैग: भारत चीन सीमा, पीएम मोदी
पहले प्रकाशित : 18 अगस्त, 2023, 22:00 IST
