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52 वर्ष पुरानी यह परंपरा है बारिश के लिए बनी मिट्टी की मूर्ति, हिलाया भीमसेन पत्थर


रामकुमार नायक/महासमुंद. छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले सहित समुद्री तट पर इस साल अच्छी बारिश नहीं हुई है। ऐसे में किसान भी काफी परेशान हैं. जिले में अच्छी बारिश के लिए अब आस्था का सहारा लिया गया है। इंद्रदेव को मान्यता के लिए लगभग 85 गांव के लोगों ने उडेला की पहाड़ी पर देव भीमसेन के पत्थर को हिलाया है। पुजारियों ने सबसे पहले ढोल-नगाड़े के साथ पूरे विधान-विधान से पूजा-अर्चना की। फिर शिला को हिल कर प्राचीन पुरातन परम्परा पुरातन।

दांतेवा जिले के कुआकोंडा के सबसे बड़े इलाके उडेला की पहाड़ी में भीमसेन पत्थर है। जिसे देव रूप में लोग पूजते हैं। उस इलाके के सैकड़ों गांव से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। जहां 85 गांव के पुजारी और सैकड़ों ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्र। सबसे पहले पूजा- सनातन की. फिर इंद्रवेद को भीमसेन पत्थर को हिलाया के लिए। पुनर्विलोकन का मानना ​​है कि अब जिलों में अच्छी बारिश होगी।

52 साल पुरानी परंपरा
जब भी जिलों में वर्षा नहीं होती है तो भीमसेन को भीमसेन के लिए जाना पड़ता है। उदेला की पहाड़ी हमारी आस्था का केंद्र है। यहां देव भीमसेन का करीब 7 फीट का पत्थर है। अनुयायी- पूजा की जाती है. यह परंपरा पिछले 52 वर्षों से चली आ रही है। जब भी वे भीमसेन के पत्थर हिलाते हैं तो इलाके में अच्छी बारिश होती है। उडेला की पहाड़ी पर स्थित देव भीमसेन का असली नाम भीमचंद है। लेकिन क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र भीमसेन के नाम से ही पूजते हैं। रिवायत का मानना ​​है कि देव शक्तियों से ही पत्थरों को हिलाया जाता है। सामान्य रूप से कितना भी बल लगा लें लेकिन पत्थर एक इंच भी हिलता नहीं है। बारिश के समय से ही भीमसेन स्टोन को हिलाने की परंपरा शुरू हो गई थी।

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पहले प्रकाशित : 25 अगस्त, 2023, 17:36 IST



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