लक्षेश्वर यादव/जांजगीर चांपा. तिलाई के रिपाथन में बनाए जा रहे हैं स्वादिष्ट चटपटे, किमती मसाले के स्वाद की हर तरफ धूम हो रही है। इस अनमोल के बलबूते कड़ी मेहनत से की गई गीताजंलि समिति, आशीर्वाद समिति से जुड़े सदस्य अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। जिले में अपनी छाप छोड़ रहे हैं. समिति के सदस्यों का कहना है कि महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रिपा) के माध्यम से महिलाएं, युवाओं के साथ-साथ युवाओं को रोजगार के साथ-साथ साइंटिफिक को आगे बढ़ाया जा रहा है।
महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क उद्यम रीपा योजना, जिसे पंचायत ग्राम तिलई के आदर्श गौठान में शुरू किया गया। इस योजना की शुरुआत के बाद जब तिलई में बेसन, ड्रमी निर्माण इकाई, आलू टुकड़ा, केला टुकड़ा निर्माण इकाई की स्थापना हुई तो इसमें गांव की गीतांजलि समिति और आशीर्वाद समिति ने शामिल होना पसंद किया। समिति के सदस्यों का कहना है कि जब तक काम खत्म नहीं हो जाता, तब तक घर नहीं जाते।
रीपा के माध्यम से वर्कशेड में फर्नीचर उपलब्ध कराया गया
इस कार्य में वह पूरे मन से जुड़े हुए हैं और सफल कलाकार बनने की राह पर हैं। गीत एवं आनंद समिति की अध्यक्ष रूपा कुर्रे की सचिव ज्योति कटारे बताती हैं कि योजना समिति द्वारा रीपा के माध्यम से वर्कशेड और अलग-अलग प्रकार की विधियां जैसे फरसाण मशीन, फ्राइंग मशीन, स्क्रैच मशीन, साचिथ मशीन आदि का निर्माण किया गया है।
वहीं समिति के अध्यक्ष फुलेश्वरी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वर्किंग शेड के साथ ही कटिंग मशीन, फ्रैक्चरिंग मशीन, क्रशर मशीन, क्रशर मशीन मिली है। समिति के सदस्यों का कहना था कि जब कार्यशाला में शेड और मशीन मिल गई तो फिर आगे बढ़ने से उन पर रोक नहीं लगाई गई। प्रशिक्षण बेहतर प्राप्त करने के बाद उन्होंने चतुर्थांश मिक्चर एवं शिप निर्माण इकाई से जुड़कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाना शुरू किया।
दूसरे जिलों में भी कर रहे हैं पोस्टकार्ड…
गीतांजलि एवं आशीर्वाद समिति में कुल 7-7 सदस्य हैं। जिसमें 4 महिलाएं और 3 पुरुष हैं जो यह काम कर रहे हैं। समिति द्वारा मिक्चर, रायता ड्रमी, गठिया, पापड़ी, मसाला मिक्चर, डेनमार्क सेवा, टेस्टी मिक्चर, नवरत्न, सदाबहार, भावना गिरी आदि मिक्चर तैयार किये जा रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग वैरायटी के चिप्स तैयार करने के लिए उन्हें जांजगीर जिले सहित रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा जैसे अन्य जिलों में भी भेजा जा रहा है।
कम दाम पर ग्रुप की महिलाओं को देते हैं रत्न
उन्होंने बताया कि पहले घर में शादी, छठे कार्यक्रम में लोग घर में मिक्सचर, क्वेश्चन लेते थे। रिपा में जब से ये सब मिलना शुरू हुआ। लोग अपने घर के कार्यक्रम में आसानी से बनाने के बजाय बाजार से कम दाम में मिलने के कारण समूह की महिलाओं को ऑर्डर देते हैं।
गीतांजलि समिति की ओर से अब तक 84 हजार 700 डॉलर का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा चुका है। तो वहीं आशीर्वाद समिति के द्वारा अपने-अपने उत्पाद की बिक्री करते हुए 42 हजार डॉलर का शुद्ध लाभ प्राप्त किया गया। समिति के सदस्यों का कहना है कि पहले कृषि कार्य, खेती-किसानी के कारीगरों का काम करते थे, रीपा से जुड़कर सभी सदस्यों के उद्योगों में वृद्धि हुई और स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन गए।
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पहले प्रकाशित : 26 अगस्त, 2023, 21:06 IST
