हानिकारक प्लास्टिक: प्लालास्टिक अपने कई सैद्धांतिक में पर्यावरण, जीव-जंतुओं और मनुष्यों के लिए काफी नुकसानदायक है। अब एक नया अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक के अलॉटमेंट प्लेसमेंट से मेंस जेनेरेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ सकता है। डीआईएचपी या डाई एथिलहेक्सिल फथलेट नाम के स्टैटलिसजिगर के प्रभाव का पता चलता है। इस पदार्थ का घटक आम तौर पर प्लास्टिक के प्लास्टर को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें फ़ायर रेस्ट और अस्पताल के सामान सहित कई स्टेचर्स की वस्तुएं पाई जाती हैं।
ब्रिगेड का कहना है कि डीएचपी का बहुत विशिष्ट स्थान लंबे समय से पुरुषों के जन्म स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। वैज्ञानिक पर्यावरण भी चिंतित हैं, प्लास्टिक डीईएचपी से आसानी से अलग-अलग जगहों में लाभ पाया जा सकता है। ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि डीएचपी बढ़ते बच्चों और भ्रूण को कितना प्रभावित करता है। कुछ शोधों से पता चला है कि डीएचपी के कारण समय से पहले जन्म और मानसिक विकास में देरी हो सकती है।
समय से पहले ही टेस्टिकल रिप्लेसमेंट की उम्र बढ़ती है
चीन के सरकारी मुलाक़ात विद्यालय सैन येटसेन विश्वविद्यालय के अध्ययन में भ्रूण के भ्रूण हत्या पर प्रयोग कर डीएचपी के प्रभाव की प्रचलित जानकारी दी गई है। एडवांस्ड बायोलॉजी में प्रकाशित अधोगम्यन रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान डीएचपी के संपर्कों में आने से लेकर रात तक में दृश्य दोष, सीमेन की गुणवत्ता कम होने के कारण जैश के सितारे पैदा हो गए। यह मुद्दा डीआईपीएच एक्सपोजर के कारण टेस्टिकल रिप्लेसमेंट की समय से पहले उम्र बढ़ने से जुड़े हुए थे। उम्र बढ़ने के साथ हमारी नैचरल प्रकृति रूप से बुढ़ापे की प्रक्रिया से अलग हैं। इस दौरान अलग-अलग हिस्सों की क्षमता खो दी गई है। जब यह प्रक्रिया तेज़ हो जाती है तो अंग खराब हो सकता है या अन्य गंभीर बीमारी हो सकती है।
डीएचपी टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार कोशिका में बुडापे की प्रक्रिया को तेज कर दिया जाता है। (शटर स्टार्टअप)
डीएचपी बुढापे की प्रक्रिया को तेज गति प्रदान करती है
डीएचपी टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार कोशिका में बुडापे की प्रक्रिया को तेज कर दिया जाता है। इस प्रयोग में शामिल किए गए चहेरे के टेस्टिकल छोटे हो गए और उनके अंडों का विकास खराब हो गया। अब यह निर्माता भी देख रहे हैं कि फीमेल गोनाड विकास और प्रजनन क्षमता से कितना प्रभावित है? यहां सबसे अहम बात यह है कि कोई भी वैज्ञानिक साधक ही डीएचपी की कितनी मात्रा का सेवन कर रहा है, जो उसके लिए नुकसानदायक हो रहा है। दावत का कहना है कि शराब की तरह ही शरीर को होने वाला नुकसान डीपीई की मात्रा पर प्रतिबंध लगाती है।
ये भी पढ़ें- धरती का कौन-सा जीव चांद पर रह सकता है आराम? ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है
चौहरे पर किये प्रयोगों के अध्ययन ने बढ़ाई चिंता
डिटैच के अनुसार, डीएचपी एक्सपोजर के उच्चस्तर के अध्ययन में पासपोर्ट प्रभाव डाला गया। हालाँकि, प्रयोग में दिल्ली का स्तर आम लोगों के हर दिन वाले संपर्क से काफी प्रचलित था। हालाँकि, नतीजों पर किए गए प्रयोगों के सीधे-सीधे सुझाव प्रभावी नहीं होते हैं। फिर भी वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए प्रयोग के बारे में चिंताएं बताई गई हैं। उत्पत्ति का कहना है कि डीएचपी के प्रभाव के पीछे उत्पादन क्षमता विज्ञान परिसर हो सकती है। लेकिन, संदेश साफ है कि हमें अपने स्वास्थ्य और आने वाली इमारतों की बेहतरी के लिए प्लास्टिक के खतरों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है।
विशेषज्ञ के अनुसार, हमें अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए डीएचपी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
डीएचपी के जोखिम कैसे कम हो सकते हैं?
विशेषज्ञ के अनुसार, हमें अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए डीएचपी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर हम प्लास्टिक के खतरे को कम कर सकते हैं, विशेष रूप से गंभीर महिलाओं और बच्चों के लिए। इसमें भोजन और जल भंडार के लिए अन्य लिपस्टिक लगाना शामिल है, जिसमें डीईएचपी शामिल नहीं है। बड़े पैमाने पर इसके प्रचार पर रोक के लिए सरकारी कार्रवाई की जरूरत है। संस्था इससे जोखिम को कम कर सकती है। इसका लक्ष्य स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करना चाहिए। भीड़ का कहना है कि भले ही ये रसायनिक युवा पर सबसे ज्यादा असर डाल सकते हैं। लेकिन, लंबे समय तक इसकी आबादी से पूरी आबादी में बांझपन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ सकते हैं।
.
टैग: स्वास्थ्य समाचार, गुणकारी भोजन, पुरुष प्रजनन क्षमता, प्लास्टिक अपशिष्ट, अनुसंधान
पहले प्रकाशित : 30 अगस्त, 2023, 16:35 IST

