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राष्ट्रीय भोज उत्सव सत्य हजारों लोग, जानिए क्यों है छत्तीसगढ़ संस्कृति का मूल अंग?


रामकुमार नायक/महासमुंद (रायपुर)- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित इंदौर स्टेडियम में राष्ट्रीय भोजली महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सहित मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से भी प्रतिनिधि के रूप में गोंडी धर्म के संप्रदाय शामिल हुए। हजारों की संख्या में जिले में गोंडी धर्म के पुरावशेषगणों ने राष्ट्रीय भोजली महोत्सव में राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत रहे। हजारों महिलाएं भोजली के साथ उपशीर्षक.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री वल्लभ भाई पटेल की राजधानी बलबीर सिंह जुनेजा इंदौर स्टेडियम में गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति द्वारा सावन पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय भोजली महोत्सव में शामिल हुए। कार्यक्रम स्थल पर नारियल और मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य करते हुए मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत किया गया और समिति के सदस्यों ने उन्हें छत्तीसगढ़ी आभूषण आभूषण का सम्मान दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री वाल्ला ने भोजली माता और बड़ादेव की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

बेकरी सांस्कृतिक कार्यक्रम की छत्ता
भोजली महोत्सव में विभिन्न राज्यों से आये जनजातीय समुदाय के युवाओं ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस दौरान हजारों की भीड़ ने पारंपरिक गीत-संगीत का आनंद उठाया। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकजुट उत्सव मनाना विवरण है कि जनजातीय समाज में भोजली उत्सव का महत्व है। भोजली अनादिकाल से चली आ रही परंपरा और संस्कृति का सिद्धांत है। यह मूलत: अन्ना माता एवं प्रकृति की सेवा है।अंकुरित बीज के पल्वित रूप की भोजली माता के रूप में सेवा की जाती है।

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पहले प्रकाशित : 31 अगस्त, 2023, 16:13 IST



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