उत्तर
जापान द्वितीय विश्व युद्ध में दो परमाणु हमले झेले गए।
इसके बाद जापान ने सेना पर खर्च करने का निर्णय लिया।
लेकिन जापान की रक्षा पर इतना ज्यादा खर्च करना हैरान करने वाला है.
यह किसी भी विद्वान या विश्वास की बात नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में जापान के रक्षा बजट में इस वर्ष भी लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 के लिए जापान के रक्षा बजट की दो स्तरीय वृद्धि हो रही है। दुनिया के लिए यह चिंता की बात है कि जापान एक ऐसा देश है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमला झेला और अपनी सेना पर खर्च ना करते हुए अपनी एक अलग ही रक्षा नीति बनाई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि अब जापान अपनी रक्षा पर नजर रख रहा है और विभिन्न मूल रूप से ही बदलाव ला रहा है। यह खास तौर पर चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते इंस्टाग्राम की वजह से अहम है..
क्या है चीन की प्रमुख वजह?
हाल के कुछ समय में चीन ने अपने पड़ोसी मुख्तार जो कि जापान से बहुत दूर नहीं है, के खिलाफ आक्रामक आक्रामकता को मजबूत किया है। चीन और ताइवान दोनों ही पक्ष सैन्य अभ्यास से अपनी शक्ति और सुरक्षा क्षमता का प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। परिस्थितियों में तनाव को कम करने के किसी भी तरह के प्रयास सामने नहीं आ रहे हैं।
जापान को खतरा किस बात का?
विशेषज्ञ का कहना है कि पूर्व एशिया के हालात जिस तरह से पठथ रहे हैं, जापान को लगता है कि ताइवान पर कब्जे के बाद चीन इस द्वीपीय देश के लिए खतरा बन जाएगा। जब कि दोनों देशों के पहले से बहुत अच्छे संबंध नहीं रह गए हैं। . ताइवान के बाद चीन, जापान के आर्थिक और सैन्य हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास जरूर करना चाहिए।
लगातार दूसरे वर्ष एक ट्रिलियन येन का खंड?
मोहित का कहना है कि जापान के रक्षा मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए 7.7 ट्रिलियन येन की मांग की है जो कि 52.67 अरब डॉलर का रिकॉर्ड बजट होगा। अगर यह मंज़ूरी हो गई तो यह पिछले साल का 6.8 ट्रिलियन येन के बजट से एक ट्रिलियन येन का बजट होगा। इतना ही नहीं यह लगातार दूसरे वर्ष के रक्षा बजट में एक ट्रिलियन का खंड होगा।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि जापान को चीन से सीधा खतरा है। (प्रतीकात्मक चित्र: Pixabay)
किस तरह से खर्च होगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान के रक्षा मंत्रालय ने 900 अरब येन रिजर्व की पेशकश की है जिसमें पानी के गोले में वायु रक्षा मिसाइलें तक शामिल हैं। इसके अलावा 600 अरब येन की लॉजिस्टिक क्षमताएं बढ़ाने के लिए 17 अरब येन को तीन सैन्य दल, 17 मालवाहक हेलीकॉप्टर, आदि के साथ ही डिप्लॉयमेंट क्षमता बेहतर करने के लिए खर्च किया जाएगा।
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अन्य देशों के साथ भी सहयोग
इतना ही नहीं जापान अमेरिका के साथ मिल कर इंटरसेप्टर मिसाइल बनाने के लिए उसने 75 अरब येन खर्च करने की योजना बनाई है। वहीं ब्रिटेन और इटली से 64 अरब येन के साथ अगली पीढ़ी के फाइटर जेट बनाने का बजट भी तैयार किया गया है और इस प्रोजेक्ट की घोषणा पहले ही हो चुकी है। विशेषज्ञ का कहना है कि जापान पर इस तरह का खर्च करना उचित नहीं है।
जापान के लोगों को भी लगता है कि जापान को अपनी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। (प्रतीकात्मक चित्र: विकिमीडिया कॉमन्स)
युक्रेन से मिले पाठ
जिस तरह से वैश्विक स्तर पर चीन ने कई तरह के दोषों को उजागर किया है, वह अपने पड़ोसी देशों के लिए विशेष रूप से खतरा बना हुआ है। इसी के लिए जापानी प्रधानमंत्री फूमो किशिदा ने रूस जापानी युद्ध को देखते हुए कहा है कि आज जापान है तो कल पूर्वी एशिया हो सकता है। इस युद्ध ने दुनिया के सभी देशों की सुरक्षा पर नजर रखी। जर्मनी तक अपना रक्षा बजट बढ़ाया जा रहा है, स्वीडन नार्वे नाटो में शामिल हो गए हैं।
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एक सर्वे में एक बात सामने आई है कि 90 प्रतिशत जापानी मानते हैं कि उनके देश पर चीन के ताइवान पर हमले की स्थिति के लिए तैयारी करनी चाहिए। 40 प्रतिशत जापानी यह भी मानते हैं कि जापान में सैन्य वृद्धि की स्थिति को अपने कानून और संविधान तक में संशोधन करना चाहिए। इसके अलावा केवल चार पद इसके विरुद्ध थे। 50 प्रतिशत लोगों का मानना है कि जापान को वर्तमान नियमों के सिद्धांतों का ही चीन को सामना करना चाहिए। कुल मिला कर जापान के विशेषज्ञ और राजनेता ही नहीं जापानियों के भी विचार धारा बदल रही है।
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पहले प्रकाशित : 01 सितंबर, 2023, 16:03 IST
