रामकुमार नायक/महासमुंद (रायपुर). छत्तीसगढ़ में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं बना रही है। दोस्ती में से एक राखी उद्योग है. स्व सहायता समूह इन दिनों गोठानों में गोबर की राखियां तैयार कर रहे हैं। पिछले कुछ प्राचीन में इन राखियों की सजावट छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में है।
लोगों को इको फ्रेंडली राखियां बहुत पसंद आ रही हैं। इस बार भी राखी के त्योहार में गोबर से बनी राखियां बाजार में रंग जमाए हुए हैं। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ के गोबर की बनी राखियों के टुकड़े छत्तीसगढ़ के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों के उत्तर प्रदेश में हैं।
रायपुर के गौठानों में महिलाएं गोबर की सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं। इसके लिए अयोध्या से राखियों का ऑर्डर भी रायपुर तक पहुंचाया जाता है। इस रक्षाबंधन में करीब 3 हजार से ज्यादा राखियां रायपुर के गोकुल नगर गौठान में तैयार की गई हैं। पिछले वर्ष एक गौठान में विभिन्न राज्यों से लगभग 70 हजार राखियों की मांग आई थी।
इन राखियों की प्रकृति
हॉस्टल में बन रही राखियां पूरी तरह से आइको फ्रेंडली हैं। इसमें गोबर, औषधीय युक्त औषधीय रस, मौली धागा और रंगीन रंग का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि आकर्षक लुक में नजर आए। यही कारण है कि इन राखियों की मांग कई महानगरों से आई है। रायपुर के गौठान में जो राखियां तैयार की जाती हैं, उनमें खास बात यह है कि हर राखियों के बीच में तुलसी के बीज डाले जाते हैं, जिससे अगर राखियों में मिट्टी से बने गमले में यह डाला जाए तो उनमें से भी एक अवशेष हो जाएगा। गोबर को हमेशा से ही शुद्ध और पवित्र माना जाता रहा है और इसमें तुलसी के बीज जाने के बाद यह और भी ज्यादा खारा हो गया है।
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पहले प्रकाशित : 28 अगस्त, 2023, 23:14 IST
