शक्ति सिंह/कोटा. आज के समय में हर इंसान के हित के प्रयोग में आने वाले लोग एनआईए में मौजूद केमिकल से खुद को बचाने के लिए प्राचीन समय में उपयोग में लेने वाले लोग नाइट्रोजन पर ज्यादा जा रहे हैं या फिर कहीं और आयुर्वेद की ओर बढ़ रहे हैं। अब ज्यादातर लोग प्रकृति के करीब जाने और कृत्रिम वस्तुओं की जगह प्राकृतिक तत्वों को दिखाने लगते हैं, जो चाहे वह खाद्य पदार्थ हों या शरीर के उपयोग में आने वाले कोई भी चीज हों।
आज के समय में इंसान की चाहत भी अपनी लाइफस्टाइल को नहीं बदल सकती और न ही अपनी विचारधारा का हिस्सा बन सकती है नी को छोड़ सकती है। लेकिन सतर्क, ओरिएंटल वाले नुकसान को कम कर रहे हैं। इसके लिए अब लोग प्राकृतिक के करीब जा रहे हैं और प्राकृतिक और आयुर्वेदिक की जगह कृत्रिम प्राणियों को अपना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, पेस्ट की जगह दातून का इस्तेमाल, नीम और मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोटा में भी गायत्री परिवार की गौशाला में तैयार हो रहे हैं मुल्तानी मिट्टी से बने प्लांट साबुन।
ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि मुल्तानी मिट्टी के साबुन बनाए जा रहे हैं। यह प्लांट साबुन कोटा में गायत्री परिवार द्वारा बाजार में बेचा जा रहा है। इस हर्बल साबुन के उपयोग से शरीर में कई फायदे होते हैं और यह कार्म रोग से काफी फायदे प्रदान करता है। इस साबुन को बनाने में मुल्तानी मिट्टी, दही, सूखा मसाला, रीठा, पिसी हल्दी, नीम की हरी सब्जियां, और नींबू का रस शामिल होता है।
ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि काफी लोग इस मुल्तानी मिट्टी के साबुन का इस्तेमाल कर रहे हैं और इस साबुन के बनने के बाद उनके काफी फायदे हो रहे हैं। इस साबुन के उपयोग से शरीर को रसायन से होने वाले नुकसान से नुकसान हो सकता है और इसमें मुल्तानी मिट्टी से बने साबुन के परिणाम अन्य साबुनों की तुलना में काफी बेहतर हैं। इस साबुन के इस्तेमाल से तेल कम होता है, कील-मुहांसे नहीं होते, त्वचा का रंग एक जैसा होता है, और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इस साबुन के उपयोग से त्वचा रोग नहीं होता है।
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पहले प्रकाशित : 18 नवंबर, 2023, 14:27 IST
