Homeदुनियाछठी क्लास पास करने के बाद गम में डूब गईं अफगानिस्तान की...

छठी क्लास पास करने के बाद गम में डूब गईं अफगानिस्तान की छात्राएं, तालिबान ने तोड़ दिए सपने


अफ़गानिस्तान।- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: एपी
फनकारी ।

अफगानिस्तान में लड़कियों की जिंदगी को तालिबान ने नर्क बना दिया है। अब उन्हें सिर्फ शारीरिक जरूरत का सामान भर दिया गया है। तालिबानियों के जुर्म से अफ़ग़ान औरतों के हसीन सपने रचे जा रहे हैं। स्थिर तालिबानियों ने छठी में पढ़ने वाली पुस्तक तक को नहीं छोड़ा। क्लास में पढ़ाना के बाद इन छात्रों में गम होना का नाम है। तालिबानियों ने अपना खूबसूरत ड्रीम पर स्ट्रेंथ का बुलडोजर चलाया है। अब ये स्कार्फ कभी स्कूल का मुंह नहीं दिखता। असली तालिबानियों ने अफगानिस्तान में कक्षा 6 तक की पढ़ाई के लिए लड़कियों को दाखिला दिया है। इसके बाद अगली कक्षा में पढ़ाई बंद हो जाएगी।

अफगानिस्तान के बहारा रुस्तम (13) काबुल स्थित बीबी रजिया स्कूल में 11 दिसंबर को आखिरी बार स्कूल गया। उसे पता है कि अब उसे आगे पढ़ने का मौका नहीं मिलेगा। तालिबान के शासन में उसने फिर से कक्षा में कदम नहीं रखा। दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सेनाओं के सितंबर 2021 में अफगानिस्तान से वापसी के एक महीने बाद तालिबान ने घोषणा की कि लड़कियों की छठी कक्षा से आगे पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। महिलाओं के लिए दमनकारी तानाशाही कदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना की गई है और तालिबान के स्तर पर चेतावनी दी गई है कि इस प्रकार के लिए उनके देश के वैध शासक के रूप में मान्यता प्राप्त मान्यता लगभग अप्रभावी हो जाएगी। इसके बावजूद तालिबान महिलाओं पर लगातार प्रतिबंध लगा हुआ है।

तालिबानी बच्चे से यू.एन. भी चिंता

संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत रोजा ओटुनाबायेवा ने पिछले सप्ताह चिंता जताई थी कि गर्लफ्रेंड लड़कियों की एक पीढ़ी हर रोज खरीदारी करती जा रही है। फ़ाफ़ शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि सभी उम्र की फ़ायर गर्ल्स को मदरसों में पढ़ने का मौका मिलेगा। मदरसों में पारंपरिक रूप से केवल लड़के ही दिखते हैं। ओटुनाबावा ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इन मदरसों में आधुनिक विषयों को क्या पढ़ाया जाएगा या नहीं। बहारा ने कहा, ”छठी कक्षा सीखने का मतलब यह है कि हम सातवीं कक्षा में पढ़ते हैं लेकिन हमारी सभी सहपाठी रोएं और हम बहुत निराश थे।” काबुल में रहने वाली 13 साल की उम्र में सेतायेश साहिबजादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और अपना सपना देखते हैं। को साकार करने के लिए स्कूल नहीं जा सका क्योंकि कारण उदास है।

साबिहजादा का फोटोग्राफर बनने का सपना

साहिबजादा ने कहा, ”मैं अपनी मंजिल पर नहीं जा सकता।” मैं अध्यापिका बनना चाहता था लेकिन अब मैं पढ़ नहीं पाऊंगा, स्कूल नहीं जा पाऊंगा।” उन्होंने कहा, ”अशिक्षित लोग कभी भी स्वतंत्र और समृद्ध नहीं हो सकते।” तालिबान ने महिलाओं को कई सार्वजनिक स्थानों और अधिकांश स्थानों पर प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें उनके घरों तक ही सीमित कर दिया है। (पी)

यह भी पढ़ें

नवीनतम विश्व समाचार





Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read

spot_img