कमल पिमोली/गर्लवाल। उच्च हिमाचली क्षेत्र में कई ऐसे स्वास्थ्यवर्धक पेय पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ कई स्वास्थ्यवर्धक इलाजों में भी शामिल होते हैं। वर्तमान समय में बालों के झड़ने से लेकर डैंड्रफ की समस्या तक, लेकर बालों की विशालता से लेकर ज्यादातर लोग परेशान हैं। महिलाओं में बालों के झड़ने की समस्या बनी रहती है। इन समस्याओं से उपकरण प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के उपचार किए जाते हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक ऐसी ही दुर्लभ हीरा-बूटी है, जो बालों को घर में बनाए रखने में कामयाब होती है। इसका अर्थ यह है कि हिमाचली क्षेत्र में रहने वाले लोग पारंपरिक रूप से बने हुए हैं। इस औषधीय उपाय का नाम है बालछड़.
औषधीय गुणधर्म से भरपूर बालच
श्रीनगर गढ़वाल में स्थित हाई एल्टीट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च सेंटर (एचपीपीआरसी) के शोधकर्ता डॉ. विजय लक्ष्मी नक्षत्र ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में बालाचांद एक औषधीय पौधा है। इसका महत्वपूर्ण तत्व सीखना है, जो लाल डाई की तरह दिखता है। यह बालों के लिए सहायक है। यह तेल के साथ मिलकर पूरी तरह से पिघलाया जाता है, जिससे यह बाल के जन्मस्थान तक पहुंच जाता है।
बालों के झड़ने की समस्या से संबंधित स्थान
बाल्चड के उपचारों के हर भाग में एंटी-ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा पाई जाती है, फिर वह उपचारों के ऊपरी से लेकर निचला भाग जड़ ही क्यों न हो। डॉक्टर विजय लक्ष्मी मूल्यवान ने कहा कि रिजनरेटिव पावर और एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण यह बालों की गुणवत्ता के लिए बहुत बेहतर है। यह बाल के खिलौने की समस्या से भी बिजली के गोदाम में प्रवेश है.
इन बेचैनियों में भी कमाल हैं बालाछड़
डॉ. विजय लक्ष्मी चक्रवर्ती ने आगे कहा कि हिमालयी क्षेत्र में इसे केवल बालों के लिए ही नहीं बल्कि बुखार, गले में दर्द, जीभ में संक्रमण होने का भी प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग दवाइयों के अलावा फर्नीचर कलरिंग के लिए भी किया जाता है। यूरोपीय देशों में नैचुरल रेड फूड कलर के लिए यह प्रयोग में लाया जाता है।
बाल पर ऐसे करें प्रयोग
डॉ. विजय लक्ष्मी मूल्यवान ने बताया कि सरसों के तेल में कुछ घंटों के लिए तेल का रंग लाल हो जाता है। उसके बाद उस तेल को बालों में लगाने से बालों के झड़ने की समस्या दूर हो गई है। साथ ही बालों की अच्छी ग्रोथ भी होती है.
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पहले प्रकाशित : 25 दिसंबर, 2023, 17:55 IST
