निखिल स्वामी/बीकानेर. अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां एक ऐसी मिठाई भी है जहां देशी और विदेशी लोग इस दुकान पर स्वाद चखते हैं। हम बात कर रहे हैं स्पेशल रबरी की। यह रबड़ी की विशेषता है कि यह रबड़ी मात्र एक घंटे तक चलती नहीं है। करीब तीन से चार घंटे में 40 किलो से ज्यादा रबड़ी खत्म हो जाती है।
यह राबर्टी दूसरे शहर में जो कम दूरी तक जाती है वहां भी जाती है। इस रबरी को कोई भी पोस्टर में नहीं भेजा जाता है बल्कि विदेशी लोग इस दुकान पर खुद ही रबरी का स्वाद चखते हैं। आख़िर में यह रबड़ी की डिज़ाइन काफी बनी हुई है। आख़िर में रबरी का डबल उपयोग होता है। एक तो लोग साधारण रबड़ी को खाते हैं तो दूसरा इस रबड़ी को लोग गर्मागर्म घेवर पर भी लगाते हैं। इस रबड़ी की एक ओर प्रकृति है कि एक बार व्यक्ति 100 से 150 ग्राम ही रबड़ी खा सकता है।
90 प्राचीन से दे रहे रबड़ी का स्वाद
सुपरस्टार बाबू राज छंगानी ने बताया कि मोहता चौक के मनका महाराज की रबड़ी काफी मशहूर है। इन दादाजी मनका महाराज ने यह काम शुरू किया था। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य रबड़ी बनाने का काम शुरू हो गया है। करीब 90 प्राचीन काल से यहां रबरी बनाई जा रही है। आठ बच्चों का दूध लगातार दो घंटे तक गर्म हो जाता है। जहां लच्छा बनी रहती है. अभी रबरी के भाव 360 रुपये किलो है। 40 से 45 कि. यहां की राबड़ी जयपुर तक भी जाती है। यह रबरी सिर्फ छह घंटे तक खराब नहीं होती है उसके बाद खराब होना शुरू हो जाता है। ऑफर में देशी और विदेशी सैलानी खूब पसंद किये जाते हैं।
ऐसी होती है तैयारी
उनका अध्ययन है कि रबरी को बनाने में दो घंटे से भी अधिक समय लगता है। पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है. उसके बाद मलाई को अलग कर दिया गया। 8 किलों के दूध में किलों की राबड़ी का अभाव है। दो घंटे बाद रबरी तैयार होती है. रबड़ी में चीनी, केसर, पिस्ता, बादाम और काजू भी शामिल हैं।
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पहले प्रकाशित : 24 दिसंबर, 2023, 07:54 IST
