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प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि तैमूर का इस्तेमाल अक्सर किया जाता है। इसके अलावा इसके बीज पेपरमेंट का काम करते हैं, जो दांत और मसूड़ों को मजबूत बनाते हैं। तैमुर के उपचार के पत्ते एंटीसेप्टिक का काम करते हैं। इसके बीज के साथ ही जुकाम, दस्त, त्वचा रोग के साथ माउथ फ्रेशनर का भी काम किया जाता है। इसके अलावा टिमूर पाचन में भी बेहद सहायक है। इस उपाय के बारे में बताया गया है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में पाया जाने वाला तैमूर स्वास्थ्य के लिए काफी शानदार है।
