उत्तर प्रदेश 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कोटि-कोटि नमन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर अयोध्या मिताहार बने। भारत में कुछ लोग श्रीराम को भगवान राम तो कुछ राजा राम को वस्तुतः पूजते हैं। अयोध्या में रामलला का विशाल मंदिर बनकर तैयार है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शहजादे राम को भी राम कहा जाता है। भारत के अयोध्या की तरह-तरह के अयुत्या हैं, जिनके आसपास ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मंदिर हैं।
शिष्य का स्थिर चक्री राजवंश खुद को राम बना रहा है। ये वही राम हैं, जो विष्णु के अवतार भगवान राम के रूप में सनातन धर्म के संरक्षक के रूप में हैं। प्रश्न यह है कि इस राजवंश ने अपने नाम में ‘राम’ का प्रयोग क्यों किया? क्या यह भगवान राम से सहमत है? बता दें कि चक्री वंश के आखरी राजा राम को ‘दशम’ कहा जाता है।
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राम की डिग्री का झुकाव कब शुरू हुआ?
चक्री वंश के राजा राम की डिग्री अपने नाम के साथ अंकित कर रहे हैं। हालाँकि, राम दशम से साफ है कि दसवीं पीढ़ी के पहले चक्री वंश के राजा अपने नाम में राम की डिग्री नहीं थे। ऐसा माना जाता है कि राम के साथ अंक जोड़ने के पीछे यूरोप की संस्कृति का असर हो रहा है। इस राजवंश के छठे राजा वजीरावध ने इंग्लैंड में अध्ययन किया। इस दौरान शेखम ब्रिटेन के शासकों के नाम में पंचम, द्वितीय पढ़ा गया। इसी तरह के बाद एकल राम के साथ अंक जोड़ने का विचार आया। बताया जाता है कि वजीरावध ने सबसे पहले खुद को राम को ‘छठा’ कहा था। इसी के बाद चक्री राजवंश के राजा के नाम पर राम की डिग्री के साथ अंक जोड़ने का चलन शुरू हुआ।
प्रियतम के राम मंदिर का प्रतीक मांक तसवीर.
कैसे शुरू हुई डिग्री में झुकने की मशीन
थाई परंपरा में आम लोग अपने राजा का नाम नहीं लेते थे। इसी चक्री वंश के पहले राजा पुथयोत्फा चालुलोक ने अपने नाम के साथ डिग्री के तौर पर फैन दिन तोन जोड़ा था। ये एक थाई श शस्त्राद है, जिसका मतलब ‘आदि शासक’ होता है। अब इस डिग्री की अपनी साखें भी थीं। असल में, इस डिग्री कोरीरी को दूसरे राजा की डिग्री ‘मध्यम’ और तीसरे शासक की डिग्री ‘अंतिम शासक’ पर रखा जाता है। इस संस्था के समाधान के लिए भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के आधार पर डिग्री दी जाने लगी। बात बिगड़ती नहीं हुई और राजसी नामावली को व्यावस्थित करने के लिए कई प्रयोग किए गए। इतिहासकारों ने राजा नांग क्लाओ को रत्चकन था सैम विएज़ ‘शासक तृतीय’ कहा। इसके बाद यह प्रयोग चल गया।
राम दशम दुनिया के सबसे अमीर राजा
राजा वजीरावध ने खुद को अंग्रेजी में ‘राम सिक्रेटरी’ कहा था। इसे रत्चकन के प्रयोग से जोड़ा गया, लेकिन यह ‘हिन्दी अंग्रेजी’ से सामूहिक निर्मित डिग्री थाई राजा के लिए परंपरा बन गई। वर्तमान में वैधानिक राजा की उपाधि ‘राम दशम’ है। राम दशम भगत में ‘फुटबॉल प्रिंस’ के नाम से हैं मशहूर. वह साइकिल से जुड़े बड़े-बल्लेबाजों के आयोजनों के लिए भी पहचाने जा रहे हैं। राम नवम यानी भूमिबोल अदुल्यादेज के निधन के बाद महा वजिरालोंगकोर्न यानी राम दशम साल 2016 से मृतकों के राजा हैं। उनका राज्याभिषेक 2019 में हुआ था। साल 2020 में उनकी संपत्ति 43 अरब डॉलर की कमाई हुई थी. ऐसा माना जाता है दुनिया का सबसे अमीर शासक।
थाई रामायण का एक चित्र। (छवि: विकिपीडिया)
अन्य में भी है राजा राम की अयोध्या
अय्यूजा के शहर को ही अयोध्या माना जाता है। वहीं, अयुता के प्रिय को रामातिबोधि यानी अधिपति राम की डिग्री दी जा रही है। रामायण में भगवान राम की राजधानी के रूप में अयोध्या का उल्लेख है। रामायण में अयुत्या को रामायण की अयोध्या माना जाता है। आयु 1351 ईस्वी से श्याम राजवंश के शासकों की राजधानी रही है। बता दें कि थाई अयोध्या के अवशेषों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
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बौद्ध देश बौद्ध मठ का मठाधीश ग्रंथालय है
भगवान बुद्ध के देश में टुकड़ों का अंतिम ग्रंथ रामकिन है। यह थाई रामायण की प्रमुख उपलब्धि है। ‘300 रामायण’ ग्रंथ के लेखक रामानुजन रामकिन की तुलना वाल्मिकी रामायण से की गई है। मान्यता है कि 18वीं सदी में रामकिन को राजा राम प्रथम ने नये शहर से लिखावाया था। रामकिन में मुख्य खलनायक थॉट्सकान वाल्मिकी रामायण के रावण जैसा है। रामकिन के नायक फ्रा राम में राम के आदर्शदर्शन हैं। भारत के राम जन्मभूमि निर्माण न्यास ने 2018 में अयोध्या में एक राम मंदिर का निर्माण शुरू किया।
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पहले प्रकाशित : 27 दिसंबर, 2023, 14:43 IST
