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शरीर को बनाया जाता है दर्द रूमेटाइड अर्थराइटिस में दर्द के लक्षण, दर्द के लक्षण, ये है बचने का तरीका


रूमेटाइड गठिया: रूमेटाइड अर्थराइटिस बहुत ही घातक बीमारी है। यह सूजन संबंधी गंभीर बीमारी है जिसमें ज्वाइंट में बहुत अधिक सूजन हो जाती है। यदि बीमारी गंभीर हो तो शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। इसमें त्वचा, त्वचा, फेफड़े और दिल पर भी असर पड़ता है। रूमेटाइटिस अर्थराइटिस सामान्य अर्थराइटिस से अलग बीमारी है। ज्वाइंट की लाइनिंग प्रभावित होती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस ऑटोइम्यून डिजीज में शरीर का अपना इम्यून सिस्टम होता है जो आपके शरीर के टीशू पर हमला बोल देता है। ज्वाइंट में सूजन बन जाती है जो बेहद दर्द पैदा करती है। यह पूरे शरीर को दर्द देता है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो कुछ ही दिनों में हड्डियां से इलाज होने लगता है और इसमें विकृति आ जाती है।

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस के लक्षण

मायो क्लिनिक के अनुसार, रुमेटाइड अर्थराइटिस में एक से अधिक जोड़ों में दर्द होता है। ज्वाइंट में स्टीफन्स या अकड़न होना प्रतीत होता है। यह सुबह या बहुत देर तक बैठा रहता है। इससे बहुत अधिक थकान होती है और बुखार भी लग जाता है। इसमें भूख भी नहीं लगती. कुछ लोगों में जोड़ों में दर्द होता है न कि पूरे शरीर में दर्द होता है। जब यह बीमारी होती है तब यह कलाई, घुटने, कूल्हे, कूल्हे और कंधे को प्रभावित करती है। यह बीमारी हृदय, लंग्स, किडनी, आंखें, त्वचा, नर्व टिशू, हृदय और रक्त वाहिकाएं भी प्रभावित हो सकती है।

कौन सा है सबसे ज्यादा खतरा

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का ख़तरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा है। परिवार में पहले से यह बीमारी किसी को है, उन्हें रूमेटाइटिस अर्थराइटिस होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। वहीं स्मोकिंग करने वालों को भी इसका सबसे ज्यादा खतरा है। जो महिलाएं बच्चा नहीं करतीं, उन्हें भी खतरे का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं ज्यादा वजन वाले लोग भी इसकी जद में रहते हैं.

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का इलाज और बचाव

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का इलाज इस बात पर प्रतिबंध है कि इस बीमारी के कितने विकल्प हैं। अगर शुरुआती दौर में है तो इसका इलाज संभव है। इन सबके बावजूद यह बीमारी नहीं है, इसके लिए प्रयास करना चाहिए। जो महिलाएं अपने बच्चों को सही समय तक दूध पिलाती हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा होता है। इसके साथ ही धूम्रपान न करें और वजन नियंत्रित करके भी इस बीमारी से बचा जा सकता है। परिवार में यह बीमारी उसे नियमित तौर पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। नियमित चिकित्सा भी इस बीमारी को दूर रखने में सहायक है।

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