Homeदुनियाश्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और फिलीस्तीनी विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर

श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और फिलीस्तीनी विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर


इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे (बाएं) और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ.  रियाद अल-मलिकी से (द- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: एक्स
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे (बाएं) और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल-मलिकी से (दाएं) युगांडा में साक्षात्कारकर्ता एस जयशंकर।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को युगांडा के संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे और फिलिस्तीनी विदेश मंत्री डॉ. रियाद अल-मलिकी से मुलाकात की। इस दौरान जयशंकर ने एक पोस्ट में लिखा कि डॉ. रियाद अल-मलिकी से मिलकर अच्छा लगा। उनके गाजा में चल रहे संघर्ष पर विस्तृत और व्यापक चर्चा हुई। इसके मानवता एवं राजनीतिक आयामों पर विचारों का समावेश-प्रस्ताव। वे दोनों देशों के बीच समाधान के लिए भारत के समर्थन को एकजुट करने और संपर्क में रहने के लिए बने रहे।

वहीं श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंहे से मस्क पहल की प्रगति पर चर्चा की। जयशंकर ने शुक्रवार से युगांडा की राजधानी कंपाला में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएम) के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”कम्पाला में एनएएम शिखर सम्मेलन के आयोजन में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात करके खुशी हुई।” (हम)अभिलेखागार हैं। भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति अपने पड़ोसी देशों के साथ प्रबंधन के प्रति अपने दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करती है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और एनालॉग एसोसिएट को बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देना है।

संकट में भारत ने की थी श्रीलंका की बड़ी मदद

विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में एक विनाशकारी वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था, जो 1948 में ब्रिटेन की आजादी के बाद की सबसे खराब स्थिति थी। जब देश संकट से जूझ रहा था, तब भारत ने ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति के तहत सरकारी ऋण सुविधा और मुद्रा समर्थन के माध्यम से लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की बहु-सदस्यता सहायता प्रदान की। ”क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास” अर्थात ‘सागर’ हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग की भारत की नीति या सिद्धांत है। इससे एक दिन पहले जयशंकर ने युगांडा के अपने समकक्ष जनरल जेजे ओडोंगो से मुलाकात की थी। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मेरे प्रिय मित्र जनरल जेजे ओडोंगो के साथ दिन की शुरुआत करके खुशी हुई।

एन एम्स शिखर सम्मेलन में उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए उन्हें धन्यवाद। युगांडा की राजधानी के प्रति भारत के ताहे दिल से समर्थन का समर्थन दिया।” उन्होंने कहा, ”अप्रैल 2023 की मेरी यात्रा के बाद से हमारे समूह सहयोग में प्रगति हुई है। प्रत्यक्ष उड़ानें, प्रशिक्षण और लचीलेपन-सक्षम और नेशनल क्रिएटिव साइंस यूनिवर्सिटी (एन एफएसयू) के परिसर की शुरुआत प्रमुख विकास कार्य में शामिल हैं। (भाषा)

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