Homeछत्तीसगढ़राम-मंदिर-संघर्ष को याद कर भावुक हुए नरेंद्र-कहा-अयोध्या-जाऊंगा- News18 हिंदी

राम-मंदिर-संघर्ष को याद कर भावुक हुए नरेंद्र-कहा-अयोध्या-जाऊंगा- News18 हिंदी


रामकुमार नायक, रायपुर- अयोध्या में होने वाले रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का वक्त जैसे-जैसे करीब आ रहा है, उन राम भक्तों के खुद के भावों पर नियंत्रण मुश्किल हो रहा है, जो राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करने वाले हजारों लोगों की कहानी सामने आ रही है। आज हम आपको राजपूत के एक ऐसे शख्स के बारे में बता रहे हैं, जो 1990 से लेकर 1993 तक अयोध्या में उनके साथ संघर्ष और भाग रहे हैं। उन्हें 10 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा। हम बजरंग दल के महासचिव नरेंद्र यादव की बात कर रहे हैं।

बजरंग दल के अध्यक्ष नरेंद्र यादव ने कहा कि संघर्ष करेंगे तो आपको एक दिन की सफलता ही मिलेगी। “राम काज किन्हें बिनु, मोहि विश्राम” अर्थात जब तक भगवान श्रीराम का काम पूरा नहीं हो जाता, विश्राम नहीं करना है। उस समय से हम कार सेवक के रूप में शामिल हुए और सफलता आज हमको दिख रही है। हमने कार सेवक के रूप में 30 साल पहले बहुत मेहनत की। आज सफलता 22 जनवरी 2024 को मिल रही है।

अयोध्या में बने बजरंग दल के वकील
नरेंद्र ने आगे बताया कि वे रायपुर के मठपारा में रहने वाले हैं। आरंभिक दौर में दूधाधारी मठ के महंत वैष्णव दास जी के सानिध्य में दर्शन दिए गए। सितम्बर माह में मणिराम मठाधीश गए और वहां उनके साक्षात नृत्यगोपाल दास से हुई। उसी समय नरेंद्र यादव बजरंगदल के समर्थक बन गये। 23 अक्टूबर 1990 में कार सेवक के रूप में 29 कारसेवकों के साथ वो रायपुर से अयोध्या गए और जेल भरो आंदोलन के माध्यम से अपराधी दिए गए। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य यह था कि बाद में के कार सेवक सीधे अयोध्या जाएं और एक समान संवैधानिक ढांचा बनाया जाए। इस दौरान सभी कारसेवकों का बहुत हौसला था।

नोट:- छत्तीसगढ़ में वह स्थान है, जहां श्रीराम ने वनवास काल की स्थापना की थी, लक्ष्मण जी के निशान आज भी मौजूद हैं

500 प्राचीन काल का संघर्ष
हम बचपन से ही पढ़े और पढ़े हैं कि प्रभु श्री रामजी का जन्म अयोध्या में हुआ है। इसलिए हम चाहते थे कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बने। हमारे अध्ययन ने जिस मंदिर के लिए बहुत संघर्ष किया, आज वह सफल हो गया। 500 साल के संघर्ष में हमारे कई यात्रियों ने प्राण त्याग दिये। हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमने राम मंदिर को देखा। जब मैं 1990 में सरयू नदी में स्नान कर रहा था तो पलट कर देखा कि मंदिर की स्थिति बहुत खराब हो गई है। वहां रंग पोटाई तक नहीं हुई थी. उस समय सोचा था कि रंग पोटाई कब होगी। आज टीवी के माध्यम से भव्य प्राकृतिक दृश्य देखकर मन गदगद हो जाता है।

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