रामकुमार नायक, रायपुर- छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है। भगवान राम की माता कौशल्या कोसल प्रदेश यानी छत्तीसगढ़ की राजकुमारी थीं। आठवीं से नवमीं सदी में छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में माता कौशल्या का भव्य मंदिर बनाया गया। यह मंदिर राजधानी रायपुर से 20 किमी की दूरी पर चंदखुरी गांव में स्थित है। यह दुनिया का एकलौता भव्य कौशल्य मंदिर है, जो प्राकृतिक छटाओं से ओत-प्रोत है। मंदिर के गर्भगृह में प्रभु राम, माता कौशल्या के भगवान विराजित हैं। उनके दिव्य मूर्ति के दर्शन के लिए देश-विदेश से स्मारक बनाए जाते हैं। इसके अलावा यहां प्रभु श्रीराम की 51वीं ऊंची भव्य मूर्ति की स्थापना की गई है।
श्री राम कोसल प्रदेश के भाँजा हैं
ऐसे ही कौशल्या के पुत्र श्री राम कोसल प्रदेश के भाँजा (भाँजा) कहे जाते हैं। छत्तीसगढ़ के लोग इस रिश्ते को आत्मीयता के साथ पसंद करते हैं। यहां के लोग अपनी बहन को माता कौशल्या और भांजे को प्रभु राम का रूप देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। बताया जाता है कि अपने वनवास काल के दौरान श्रीराम ने 10 वर्ष से भी अधिक समय छत्तीसगढ़ में स्थापित किया था। इसके बाद वे दक्षिण की ओर चले गये। इसी कारण से इसे दक्षिण पथ भी कहा जाता है। कौशल्या माता मंदिर में 21 जनवरी की शाम से महोत्सव की शुरुआत हुई है। आज शाम 6 बजे 21 हजार दीयों के साथ महाआरती की जाएगी और दीपावली मनाई जाएगी।
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राम मंदिर के निर्माण से हैं खुश
चंद्रखुरी के लोग अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से काफी खुश और उत्साहित हैं। वो सभी भगवान राम को अपने भाँजे की तरह मानते हैं, क्योंकि उनकी माता देवी कौशल्या यहीं की निवासी थीं। स्थानीय लोग कहते हैं कि भगवान राम अपने बचपन के दिनों में चन्द्रखुरी आये थे। अपनी माँ के साथ वो अपने ननिहाल में वक्ता बातें करते थे, प्रतियोगिता करते थे। यहां रामलला को गोद में लेने के लिए माता कौशल्या मंदिर में विश्राम करती हैं। यहां के निवासी अपने भांजे-भांजियों को भगवान के रूप में अपने छूते हुए पहचानते हैं, उन्हें जूठा नहीं खिलाते और जब उनके भांजे-भांजियां वापस अपने घर जाते हैं, तो उन्हें सत्कार के साथ विदाई देते हैं।
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पहले प्रकाशित : 22 जनवरी, 2024, 17:04 IST
