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धन नहीं धान का होता है दान, छत्तीसगढ़ के इस लोकपर्व की बहुत रोचक कहानी है


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सभी कहते हैं छेरछेरा…माई कोठी के धान ला हेरा….इस पर्व पर बच्चों और बड़े बुजुर्गों की टोलियों का एक अनोखा बोल, बोल कर दान मांगते हैं। दान लेते समय बच्चे ‘छेर छेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा’ कहते हैं और जब तक घर की महिलाएं अन्न दान नहीं मांगतीं तब तक वे कहते हैं ‘अरन बरन कोदो डरन, जब्बे देबे तब्भे तरन’। इसका मतलब ये होता है कि बच्चे कह रहे हैं, मां दान दो, जब तक दान नहीं दोगे तब तक हम नहीं जाएंगे.



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