नई दिल्ली. देश की नित्य प्रणाली में सबसे मजबूत और निर्णायक जिला जज होते हैं। इन जिला जजों के द्वारा ही 70 प्रतिशत मामले सुलझाए जा रहे हैं। लेकिन, फ़्रैम्लीट लुक इन जजों को ही फ़ेसमेंट के बाद न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) में आना पड़ा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालतों में जजों को कम पेंशन मिलने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी में कहा गया है कि जिला जजों के पास 19 से 20 हजार रुपये तक की पेंशन योजनाएं हैं। ऐसे में ये जज अपनी बोली कैसे लगाते होंगे. देश के मुख्य न्यायाधीश डी. वै. चंद्रचूड़ सहित तीन जजों की पीठ ने केंद्र सरकार से इस विषय पर समाधान का अनुरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकटरामनी से ‘न्यायसंगत समाधान’ का अनुरोध है। मुख्य न्यायाधीश ने वेंकटरामनी से कहा कि ‘हम सिर्फ समाधान चाहते हैं, आप जानते हैं कि जिला अदालतों से सेवानिवृत्त होने वाले हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों का सामना कर रहे हैं।’ इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकटरामनी से ‘न्यायसंगत समाधान’ का आग्रह किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों से प्रवेश यह मामला
अगर जिला जज की नियुक्ति की बात करें तो विशिष्ट उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तुलना में काफी कम हैं। हालाँकि, मजिस्ट्रेट अदालतों के न्यायाधीशों और अन्य राष्ट्रीय अधिकारियों के वेतन में बढ़ोतरी को लेकर दूसरे राष्ट्रीय क्षेत्रीय वेतन आयोग की संस्थाओं को लागू किया जा रहा है। इसके बाद इन जजों की भी पसंद में 3 गुना बढ़ोतरी होगी।
कितने हिस्से हैं जिला स्तर के जज
अगर उपयोगिता वेतन की बात करें तो स्नातक में जूनियर सिविल जज या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को हर महीने 90000- 1,40,000 तक मिलता है। वरिष्ठ सिविल जज की कीमत 1,15,000 से 1,70,000 रुपये है। बुजुर्ग जजों की पांच साल बाद सैलरी 1,45,000 से 2 लाख के बीच हो जाती है। इसी तरह पुराने जजों की सैलरी 2,50,000 लाख रुपये तक पहुंच जाती है।
जजों को रहने के लिए नारियल में 2000 से 2500 वर्गफुट तक के आवास उपलब्ध हैं। (प्रतीकात्मक तसवीर)
क्या-क्या पुस्तकें हैं
इनमें जजों को रहने के लिए 2000 से 2500 वर्ग फुट तक के आवास उपलब्ध हैं। साथ में हर पांच साल बाद 1.25 लाख रुपये का फर्नीचर भी खर्च हो जाता है। निवास स्थान के पैसे के लिए उनके रैंक के खाते नीचे दिए गए हैं। हर साल 10 लाख रुपये आवास के लिए आवास पर खर्च होता है। इसके साथ ही जजों को 24×7 बंदूकधारी और व्यवसाय भी पसंद है। साथ ही आरामदायक ड्राइवर और गाड़ियाँ भी हैं। साथ ही पुलिस का एस्कॉर्ट वाहन भी रहता है। इसके साथ ही कागज, अखबार, टेलीफोन और मोबाइल के लिए भी पैसे दिए गए हैं।
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लेकिन, तलाक जजों के संस्कार के बाद 19 से 20 हजार रुपये ही पेंशन मिलती है। ऐसे में इन जजों को 30-35 साल तक मिलने वाली हर उस पद को त्यागना पड़ता है, जिसे वह सेवाकाल के दौरान लाभ की संज्ञा देते हैं। इसी वजह से देश के कई राज्यों के जिला जज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालाँकि, नियुक्ति के बाद भी कुछ न्यायाधीश ट्रिब्यूनल, गैर सरकारी संगठन, मानवाधिकार आयोग, उपभोक्ता मंच, ट्रस्ट या फिर उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास करना शुरू कर दिया जाता है, जिससे करोड़ों की कमाई भी होती है।
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टैग: न्यायाधीशों, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, वेतन वृद्धि, भारत का सर्वोच्च न्यायालय
पहले प्रकाशित : 28 फरवरी, 2024, 18:37 IST
