रामकुमार नायक, रायपुर- छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति के बाद लगातार का दौर जारी है। राजधानी से लेकर ग्रामीण अंचल में इन दिनों शादियाँ हो रही हैं। छत्तीसगढ़ की शादी यानी विवाह परंपरा बेहद दिलचस्प है। इस दौरान कई अलग-अलग प्रकार की रस्में और विवाह संस्कार पूरी तरह से होते हैं। इन बरातियों में से एक नहडोरी या कहे मंगल स्नान की है। इस बारात में बारात जाने से पहले दुल्हन का स्नान, उबटन, पानी और दूध के साथ सजावट होती है। आइए जानते हैं कि यह नहडोरी की बारात क्या है और कितनी पूरी होती है।
ऐसी है परंपरा
राजधानी रायपुर के पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पूर्वजों में कई प्रथाएं और परंपराएं शामिल हैं। विवाह काल के मध्य में जिन लोगों का विवाह हो रहा है, वह युवा या लड़की हो, उन्हें एक क्रम के साथ दिन में 3 से 5 बार हल्दी का लेप लगाया जाता है। हल्दी का लेप इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि आयुर्वेद में हल्दी को एक एंटीबायोटिक माना जाता है। साथ ही शरीर के लिए भी बेहद फायदेमंद है। शादी में बारात जाने के पहले लड़का और बारात आने से पहले लड़की की शादी या मंगल स्नान की रस्म पूरी होती है।
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नागार्जुन करते हैं ये काम
छत्तीसगढ़ में इस बार की बारात में हंसी ठिठोली के साथ जीजा-बहन, बट-फूफा और बालाजी इस बारात को पूरा करते हैं। इनके द्वारा विवाह हो रहे युवक या युवतियों को एक दूसरे में शामिल किया गया है, जिसमें पिकनिक भी शामिल है और फिर मंगल स्नान वाले स्थान पर ले जाते हैं। फिर सभी सुहागिनों द्वारा सिर में क्रम से जल, दूध और उबटन से स्नान किया जाता है, ताकि विवाह के दौरान लगी हल्दी पूरी तरह से निकल जाए और शरीर में स्थापित हो जाए। इसी तरह की रिज़ल्टें छत्तीसगढ़ में नहदौरी की रिज़ल्टें कही जाती हैं।
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पहले प्रकाशित : मार्च 1, 2024, 18:26 IST
