सोनिया मिश्रा/कीमी.प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ने अब नई तकनीक और आधुनिकीकरण का दमन किया है। एक समय में आम लोगों का भरोसेमंद खोया आयुर्वेदिक चिकित्सा अब वर्तमान समय के हिसाब से लोगों का इलाज करा रही है और एलोपैथिक इलाज को पूरी तरह से टक्कर दे रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण डिजिटल माध्यम से नब्ज (नाड़ी) देखकर कई सशक्त की पहचान करना है। इस काम को मशीन द्वारा किया जाता है, जिसे नाडी तरंगिनी के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में फूल के जिला औषधि एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर सुनील रतूड़ी ने बताया कि नाड़ी परीक्षण के लिए अब डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर बीमार व्यक्ति के वात, पित्त और कफ के स्तर की जांच कर उसका इलाज किया जाता है। इससे जुड़े अस्थमा-बुखार से लेकर हाई ब्लड मिनरल, शुगर, त्वचा के रोग, जोड़ों के दर्द जैसे कई खतरनाक बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है। इसके अलग-अलग नाड़ी परीक्षण से सिर्फ शारीरिक बल्कि तनाव, एंजाइटी और अवसाद जैसे मानसिक विकारों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
कैमोमाइल जिले में भी जल्द सुविधा सुविधा
डॉक्टर सुनील रतूड़ी ने कहा कि गोपेश्वर के पुलिस ग्राउंड में हेल्थ कैंप के माध्यम से इस चिकित्सा क्षेत्र में लोगों की भर्ती का अनुमान लगाया गया था, लेकिन निश्चित रूप से जल्द ही जल्द ही जिले के नाड़ी में चिकित्सा शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जिले में औषधियों के पद खाली चल रहे थे। लेकिन जिले में अब 43 नए आयुर्वेदिक चिकित्सक मिल गए हैं, जिनमें कई विषय विशेषज्ञ भी हैं। नाड़ी रोग विशेषज्ञ आने से अब जिले के लोगों को आसानी से जिले में ही संपूर्ण इलाज मिलेगा।
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पहले प्रकाशित : 2 मार्च 2024, 15:57 IST
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