अनूप/कोरबाः चिकित्सा जगत में हो रही नई खोज और इसके माध्यम से रोगी के उपचार का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। मेडिकल स्टडीज के मामले में सबसे बड़ी भूमिका शवों की होती है। कोरबा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए 5 डेड बॉडी की सुविधा उपलब्ध है। अच्छी बात यह है कि समय के साथ पुराने जमाने से हटकर लोग देहदान करने को लेकर विश्वास बना रहे हैं।
भारत सरकार द्वारा पिछले वर्षों में कोरबा को मेडिकल कॉलेज की सुविधा उपलब्ध करायी गयी, जहां से मेडिकल की पढ़ाई शुरू की गयी. 125 सीट क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज कोरबा में प्रोफेसर के द्वारा छात्रों को चिकित्सा के विभिन्न आयामों की शिक्षा दी जा रही है।
एक शव पर 25 छात्र सीख रहे हैं
एसोसिएटेड प्रोफेसर और मेडिकल कॉलेज के उप-निदेशक डॉक्टर शशिकांत ने बताया कि एनाटॉमी यीज़ शरीर रचना विज्ञान से संबंधित प्रयोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए मृत शरीर जरूरी है। 25 छात्रों के पीछे एक शव का इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा अध्ययन के लिए शवों की रेकी की जाती है। हाल ही में जांजगीर चांपा जिले से एक ऐसा शव यहां भेजा गया है।
देहदान के बजाय अंतिम संस्कार क्यों?
सदियों से बनी हुई परंपराएं और सिद्धांत बहुत जल्द समाप्त हो सकते हैं या टूट सकते हैं, ऐसा बिल्कुल संभव नहीं है। अलग-अलग स्तरों पर प्रयास के कारण लोगों की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के बजाय देहदान करने को लेकर संकल्प पत्र में रुचि दिखाई जा रही है। निःसंदेह इस तरह की कोशिशें चिकित्सा अनुसंधान के लिए उपयोगी उपयोगी है।
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पहले प्रकाशित : 7 मार्च, 2024, 16:56 IST
