रिपोर्ट-अनूप पासवान
कोरबा. अब तक मनाई गयी है होली का खुमार चढ़ रहा है. वैसे तो बाजार में तरह-तरह के रंग और गुलाल उपलब्ध रहते हैं लेकिन घर पर बने रहते हैं प्राकृतिक रंग-गुलाल की बात ही अलग-अलग रहती है. होली पर पलाश के फूल जो आम बोल चाल में टेसू कहते हैं, उनके बने रंग का अपना अलग ही महत्व है। टेसू से बना रंग किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि इससे त्वचा निखारती है।
रेनॉल्ट का त्योहार होली का नया हो और पलाश के फूलों की बात ना हो, ऐसा संभव नहीं। हिंदू धर्म में अनादिकाल से प्रत्येक ऋतु के अनुसार, उत्सव पवित्र की परंपरा है। इसी तरह वसंत ऋतु में वसंत उत्सव को हम सभी होली के रूप में मनाते हैं। पुराने समय में होली के लिए फूलों से रंग-बिरंगे बनाए जाते थे। फूलों से बने रंग त्वचा के लिए आकर्षक होते हैं। रंग बनाने के लिए सबसे ज्यादा मांग पलाश यानि टेसू के फूल की होती है।
पलाश सिर्फ रंग ही नहींऔषधि भी
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर नागेंद्र शर्मा नारायण ने आयुर्वेद में पलाश के फूल और एंटीबायोटिक का विशेष महत्व बताया है। कई दुकानों में इसका अलग-अलग प्रकार से उपयोग किया जाता है। केसरिया रंग के इस खूबसूरत फूल से घर पर ही रंग या गुलाल होली खेलने की परंपरा बनी हुई है। लोग बाजार में मिल रहे केमिकल युक्त गुलाल का प्रयोग करते हैं। जबकि घर पर ही पलाश के फूलों से प्लांट गुलाल या रंग बनाया जा सकता है। इस गुलाल से आपकी त्वचा को चमकाओगी और रेस्तरां रेस्तरां हो जाएगा।
घर पर बनाये पलाश से गुलाल और रंग
पलाश के फूल से बहुत आसानी से घर पर रंग या गुलाल बनाया जा सकता है। 2 लीटर पानी के साथ कम से कम 200 ग्राम पलाश के फूल का प्रयोग करें। पलाश के फूल एकत्रित करने के बाद उसे सुख लें और फिर उसे स्टॉक लें। फूलों को लेबल करने के बाद पानी का रंग केसरिया हो जाएगा। अब इसका प्रयोग होली में रंगों के रूप में किया जा सकता है। साथ ही आप पलाश के फूलों से घर पर गुलाल भी बना सकते हैं। सबसे पहले पलाश के फूल को सुखा लें और फिर से डायमंड पीस ले लें। नकली फूलों को पीसने के बाद पाउडर को कपड़ों से अच्छा कर इसका उपयोग गुलाल के रूप में किया जा सकता है।
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पहले प्रकाशित : मार्च 9, 2024, 16:02 IST
