सौरभ तिवारी/बिलासपुरः शुक्रवार 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जायेगा। यह दिन भगवान शिव और शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। आज हम आपको ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां पिछले 91 साल पहले सांझ से मेले का आयोजन होता रहा है। ये इवेंट कैसे शुरू हुआ, इसकी कहानी बेहद खस्ता है. इस साल भी यहां 8 से 12 मार्च तक 5 दिन तक मेले का आयोजन किया जाएगा।
बिलासपुर के छत्तीडीह क्षेत्र में स्थित शिव जी का मंदिर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। मंदिर के संरक्षक दया शंकर सोनी ने बताया कि यह मंदिर 91 साल पुराना है और इसकी स्थापना के चार धाम की यात्रा के बाद उनके दादा मंगली प्रसाद सोनी ने कहा था। इस मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर विशेष आयोजन होता है। इस बार भी 8 मार्च को मनाली के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाएगा।
ऐसे शुरू हुआ मेला
मंदिर की स्थापना के बाद मंगली प्रसाद को उनके मान्यता प्राप्त यहां से शिवरात्रि के अवसर पर मेले में जाने की अपील की गई थी और सहमति दी गई थी, कि अगर यहां आने से उनका नुकसान हुआ तो फिर भी की जाएगी। लेकिन जब यहां मेला लगाया गया तो सभी सुविधाओं और सुविधाओं को फायदा हुआ। इसे देखते हुए फिर यहां हर साल मेला लगा। समय के साथ-साथ मेल का आकार बढ़ता गया। और देखते ही देखते चांटीडीह में आयोजित होने वाले मेले में हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मेले में व्यापार करने से किसी को भी लाभ नहीं होता है, जिससे मंदिर और मेले को लेकर यह आशय है, कि यहां किसी को भी नुकसान नहीं होता है और व्यापार बढ़ता है।
पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा कारवां
मंदिर के देख भाल का काम मंगली प्रसाद सोनी के भक्तों के साथ होता आ रहा है। वर्तमान में इसके संरक्षण का कार्य दया शंकर कर रहे हैं।
ध्वज फहराने की है परंपरा
मंदिर में झंडा फहराने की भी परंपरा है. भक्त अपने मनोकानाओं की प्रस्तुति पर मंदिर में ध्वज चढ़ाते हैं। इसके साथ ही बैंडबाजा पार्टी, कुम्हार, किन्नर, बजरंग दल, शिव सेना की ओर से शिवरात्रि में झंडा फहराया जाता है। मंदिर तक का किरदार भी दिखाया जाता है.
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पहले प्रकाशित : मार्च 5, 2024, 14:10 IST
