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वजन बढ़ाने का यह आसान तरीका संभव नहीं, गौतम बुद्ध की तरह पाएं ये काम, कुछ ही दिन में हो जाएंगे तंदुरुस्त


उत्तर

केवल मोटो होना ही नहीं बल्कि ईमानदारी होना भी परेशानी है।
योग में वजन बढ़ाने का बेहद आसान तरीका मौजूद है।

वजन कैसे बढ़ाएं: मोटे लोग होने के लिए सख्त-कित्या उपाय नहीं करते हैं, लेकिन वे जान लें कि डुबले-पतले लोगों की भी अपनी टोली है। जो लोग बहुत ज्यादा मात्रा में खाते हैं, कोई अष्टयाम या मेहनत का काम नहीं करते, उसके बाद भी अगर उनके शरीर पर चर्बी नहीं चढ़ती तो वे परेशान हो जाते हैं। भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो आपको मिल जाएंगे जो दिखने में बिल्कुल सही डबले और बच्चों के शिकार में लगे हैं, उनका वजन भी ज्यादा नहीं है, वे वजन बढ़ाना चाहते हैं और वॉल्यूम बढ़ाना चाहते हैं लेकिन कोई दवा की कमी नहीं है। ऐसे में हम आपको वजन बढ़ाने के लिए एक सबसे आसान और बेहतरीन उपाय के बारे में बता रहे हैं।

जिस रोग का इलाज कहीं नहीं होता, उसका योग जरूर होता है। शारीरिक से लेकर मानसिक और आध्यात्मिक तत्वों का हल योग में है। ऐसे में डबल लोगों को मोटा करने का तरीका भी योग में है और ये बहुत आसान भी है. एसएम योग रिसर्च इन मराठाट एंड नेचुर पैथ हॉस्पिटल इंडिया के सचिव और शांति मार्ग द योगाश्रम अमेरिका के संस्थापक और सीईओ योगगुरु डॉ. बालमुकुंद शास्त्री छात्र हैं कि योग में 8 हस्त मुद्राओं के बारे में बताया गया है। ये इतने प्रभावशाली हैं कि अगर कोई इनका अभ्यास कर ले तो इनका असर जरूर देखें।

महामहिम गौतम बुद्ध ने योग की सभी मुद्राओं का अभ्यास किया था। वे मुद्रांकन के विवरण और साधना करते थे। इन्ही में से एक है पृथ्वी मुद्रा. वैसे तो यह रिव्यु की मुद्रा है लेकिन जो लोग वेट गेन नहीं कर पाते, उनके लिए यह बहुत ही बढ़िया है और इसे करना भी बेहद आसान है। इसे करने के लिए आपको बस यही चाहिए.

पृथ्वी मुद्रा वजन को मजबूत करती है

डॉ. बालमुकुंद का कहना है कि पृथ्वी मुद्रा पृथ्वी तत्त्व सिद्धांत हमारे शरीर को मजबूत बनाती है। यह हमारे शरीर में घटकों और सामग्रियों के रूप में मौजूद है। इस सिद्धांत के अभ्यास से हमें फ्रैचर आदि को सही करने में मदद मिलती है। यदि किसी ने बहुत अधिक संदेह व्यक्त किया है तो नियमित अभ्यास से वह कुछ ही दिनों में इसके बारे में सीख लेगा और अच्चा शिक्षा मानक तंदुरुस्त हो जाएगा। अगर किसी का इम्युन सिमेटम फ्री है तो उनके लिए भी ये कमाल है। इसके साथ ही अगर किसी को अर्थराइटिस की समस्या है या शरीर में दर्द है तो भी इस मुद्रा के अभ्यास से मदद मिलती है।

इम्युनिटी और दिमाग का भी होता है विकास

यह मुद्रा हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालती है। यह ब्रेन के विकास में डूबा हुआ है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है. इसका अभ्यास सुबह या शाम को 15 मिनट से आधा घंटा या 1 घंटा तक भी किया जा सकता है। खाना खाने के बाद इस मुद्रा में न बैठें।

कौन से लोग इस मुद्रा का अभ्यास नहीं कर सकते
जिन लोगों को मुद्रा की सुरक्षा मिलती है, या बैलेंस वेट वैल्यू बढ़ी हुई है तो वे लोग इस मुद्रा का अभ्यास बिलकुल भी नहीं करते हैं। केवल अधिकांश लोगों के अलावा अधिकांश लोग इसका अभ्यास कर सकते हैं। इससे मुद्रा ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलता है। इस मुद्रा का अभ्यास हम लोग नियमित रूप से उपयोग वाले पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन आदि में कर सकते हैं।

पृथ्वी मुद्रा कैसे बनायें
पृथवी मुद्रा बनाने के लिए हम अपनी अंगूठी के टुकड़े यानी अनामिका और निकोलस के पोरों को मिलाते हैं और बाकी हिस्सों को स्थिर रखते हैं। इसके बाद पद्मासन या वज्रासन को रेस्टॉरेंट में रखा जाता है। आपने कई रत्नों को भी देखा होगा कि महात्मा बुद्ध के हाथों में भी यह मुद्रा बनी हुई है।

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