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– क्या आप 4 बच्चों के साथ गर्भवती हो सकती हैं, डॉ. साक्षी नायर बता रही हैं कि एक से अधिक भ्रूण होने का जोखिम क्या है- News18 हिंदी


उत्तर

जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपण होने से पहले विभाजन हो जाए तब दो या दो से अधिक बच्चे हो सकते हैं।
दो से अधिक बच्चों की स्थिति में मां को दो बार भोजन की आवश्यकता होती है।

एक से अधिक भ्रूण ले जाने का जोखिम: आमतौर पर अगर एक से ज्यादा बच्चा होता है तो वह जुड़वाँ या जुड़वाँ या जुड़वाँ बच्चे होते हैं। इन दिनों जॉइनवे चिल्ड्रन के कई मामले देखने को मिलते हैं लेकिन दो से अधिक बच्चे दुर्लभ ही होते हैं। हाल ही में राजस्थान के टोंक जिले में एक महिला ने एक साथ 4 स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। चारों बच्चों की दुकान हालांकि 8 ही महीने में सीज़ेरियन से करानी लेकिन चारों बिल्कुल सकुशल हैं। बच्चे की डायरी में किसी तरह के लक्षण न हों, इसके लिए डॉक्टर ने 5वें महीने में तांके दिए थे। इसके बाद 8 वें महीने में बच्चे की स्तुति सीज़ेरियन से करा दी गई। अब सवाल यह है कि अगर किसी को दो से ज्यादा बच्चे गर्भ में पल रहे हैं तो इसमें किस तरह के लक्षण दिखते हैं और उनकी देखभाल किस तरह की होनी चाहिए। इसी प्रश्न को लेकर हमने सर गंगाराम अस्पाताल में सीनियर गाइनेकोपैथी डॉ. साक्षी नैय्यर से बात की.

दो से अधिक बच्चे उच्च जोखिम में

डॉ. साक्षी नैय्यर ने बताया कि दोनों बच्चों में भी लक्षण कम नहीं हैं। ट्विंस यानी जुड़वाँ बच्चे भी बहुत कम होते हैं लेकिन आजकल आईएफ़ के कारण ट्विंस के कई मामले सामने आते हैं। दो से अधिक बच्चे अत्यंत उच्च जोखिम में हैं। बच्चे के जन्म से पहले मां के सामने आते हैं कई तरह के खतरनाक चित्र। अगर बच्चे के समय से पहले हो तो इसे प्री-स्टार्म शुरू करना कहा जाता है। इसमें एक बच्चे या दोनों बच्चों का वजन कम हो सकता है। गर्भ में दो से अधिक बच्चे होने पर मां को हमेशा हाई ब्लड शुगर, हाई ब्लड शुगर, मोटापा जैसी समस्या का खतरा बढ़ जाता है।

यदि दो या दो से अधिक बच्चे मां के पेट में एक ही गर्भनाल में हों तो एक ज्यादा खून निकल जाता है जिससे दूसरे की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे कई तरह की पसंद होती है. दो से अधिक बच्चों के जन्म के समय में सबसे अधिक समानताएं आती हैं कि जल्दी जल्दी शुरू हो जाती है। इस स्थिति में मरीज़ यानी पोस्टपार्टम हैमरेज का ख़तरा बढ़ जाता है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में रक्त कण होता है जिससे माँ की मृत्यु हो सकती है। बहुत सी महिलाओं के बच्चे को जन्म देते समय आज भी पिंपल का शिकार होता है।

अगर पेट में पल रहे दो से ज्यादा बच्चे बचे रहें…

डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि आम तौर पर हमलोग दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह नहीं देते। लेकिन अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे पेट में हैं तो उन्हें समझाएं कि यह खतरे से खाली नहीं है। इसके बावजूद अगर कोई ऐसा करना चाहता है तो हम दोनों को बनाए रखने की कोशिश करते हैं और तीसरे को मार देते हैं। इस कॉम्प्लेक्स को सेलेक्टिव रिसर्च ऑफ फिट्स कहा जाता है। इस प्रक्रिया में 11वें से 13वें सप्ताह के बीच तीसरे बच्चे को ख़त्म कर दिया गया। यह प्रक्रिया तब भी चलती है जब बच्चा अलग-अलग तख़्तों में होता है। यदि सभी बच्चे एक ही ट्रॉली में हैं तो यह प्रक्रिया नहीं की जाएगी। यदि कोई महिला अपने पेट में दो से अधिक बच्चों को पालना चाहती है तो उसे ऐसा खतरा हो सकता है। हालाँकि इस संबंध में कोई वैश्विक कानून या नियम नहीं है। इसलिए डॉक्टर उन्हें कॉन्स्टेंट हॉस्पिटल आने की सलाह देते हैं।

स्पेशलाइज़ डॉक्टर से सलाह जरूरी

डॉ. वैज्ञानिक नायर का कहना है कि अगर कोई अपने पेट में दो से ज्यादा बच्चों को नहलाए तो उन्हें हायर सेंटर वाले अस्पताल यानी टर्शरी अस्पताल में स्पेशलाइज डॉक्टर की सलाह में इलाज कराना चाहिए। दो से अधिक बच्चों की स्थिति में हर दो से तीन सप्ताह में गर्भपात कराना आवश्यक है ताकि बच्चे के विकास का नियमित विश्लेषण किया जा सके। डॉक्टर इस विश्लेषण के आधार पर मां को वास्तु शास्त्र की सलाह देते हैं। अगर कुछ भी कंपनी ने शेड्यूल किया है तो टर्शरी हॉस्पिटल में भर्ती होनी चाहिए, जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

माँ के लिए इन दिनों का पालन-पोषण करना जरूरी

दो से ज्यादा बच्चों की स्थिति में मां को एक्स्ट्रा केयर की जरूरत है। डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि माँ को कहीं भी इधर-उधर नहीं जाना चाहिए। घर में अधिक आराम करना चाहिए. उन्हें कोई भी भारी सामान नहीं उठाना चाहिए ना ही कोई भारी काम करना चाहिए। हर दो से तीन सप्ताह में अस्पताल जाना चाहिए। घर के भीतर ही इधर-उधर घूम सकते हैं। ज्यादा यात्रा भी नहीं करनी चाहिए. हर हाल में आराम ज्यादा करना चाहिए।

माँ के लिए क्या हो वस्तु

डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि दो सबसे ज्यादा बच्चों की स्थिति में मां को डबल भोजन की जरूरत होती है। हालाँकि इसके बाद भी बच्चों के लिए पोषण संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। इसलिए आयरन, कैल्शियम आदि के जीवाश्म मिलते हैं। हरी पत्ती की दवा और फलों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।

दो से अधिक बच्चे कैसे होते हैं

दो अस्थैतिक में दो या दो से अधिक बच्चों के गर्भ में पलने लगे हैं। पहली स्थिति यह है कि जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपण (पुरस्थ) होने से पहले विभाजित हो जाए तब दो या दो से अधिक बच्चे हो सकते हैं। दूसरी स्थिति यह है कि एक ही समय में जब दो या दो से अधिक अंडाणु बने और ये अलग-अलग आकृतियों से निश्चित हो जाए तब दो या दो से अधिक बच्चे हो सकते हैं।

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