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धरती से कैसे पता चल सकता है, अभी चाँद पर रात है या दिन?


चंद्रमा पर दिन-रात: जापान के तोहो स्टूडियो की एक साइंस-फिक्शन फिल्म ‘डिस्ट्रॉय ऑल मॉन्स्टर्स’ में भविष्यवाणी की गई थी कि ह्यूमन 1999 तक मून पर बस जाएगी। हालाँकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ और 1999 के बाद के वर्षों में भी ऐसा नहीं हुआ। लेकिन, स्थायी लूनर आउटपो माइक्रोसॉफ्ट या टाउनशिप के निर्माण के दस्तावेजों पर गंभीर बातचीत शुरू हो गई है। साल 2016 में जारी साइंटफिक पेपर्स में तर्क दिया गया था कि 2022 तक 10 अरब डॉलर की लागत से एक छोटा मून बेस तैयार किया जा सकता है। चाँद पर मानव बसाने की बसाने की दुनिया में जारी चर्चा के बीच कल नोटना होगा कि वहां बसने वाले लोगों का जीवन कैसा होगा?

इंसान को चाँद पर बसने के लिए लम्बी अनोखी रातों को सहने की आदत डालने के साथ ही कई अन्य बदलावों के लिए खुद को ढालना चाहिए। जीत का कहना है कि बेहद ठंडी तापमान के बाद भी चांद के कुछ हिस्से में रात के समय चमकती रोशनी रहती है। अगर आपके पास चांद की रात और दिन के बारे में जानकारी नहीं है तो हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं। बता दें कि चांद का कोई खास अंधेरा वाला हिसासा नहीं है। हालाँकि, चंद्रमा का एक हिसासा कभी भी पृथ्वी के सामने नहीं आता है। इस समय रात या दिन में किस चाँद से पृथ्वी का पता लगाया जा सकता है?

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चाँद का रिश्ता हिसासा धरती से कभी नहीं दिखता?
चंद्रमा 27 दिन और कुछ घंटों में पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण चक्र लगा हुआ है। यह लगभग समाप्त ही समय है, बाएं चंद्रमा को अपने धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में लगता है। एक साथ दोनों खण्ड चक्र पुरा करने के कारण चंद्रमा का केवल एक ही हिसासा धरती से देखा जा सकता है। इसी कारण चांद की सतह का करीब 41 फीसदी हिस्सा धरती पर मौजूद स्टार्स के पास कभी दिखाई नहीं देता। हालाँकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चंद्रमा किसी भी समय अपनी कक्षा में कहाँ है। इसका आधा भाग लगातार सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होता रहता है। सूर्य और पृथ्वी की सापेक्ष स्थिति चंद्रमा के चरणों को निर्धारित करती है।

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चंद्रमा 27 दिन और कुछ घंटों में पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण चक्र लगा हुआ है।

अमावस्या और पूर्णिमा का चरण कैसे होता है?
मान नोटबुक की प्लेट एक सीधी रेखा में रखी गई हैं। अब मान लें कि पृथ्वी और सूर्य के बीच का चाँद है। ऐसे में चंद्रमा की धरती के तारा भाग को सूर्य का प्रकाश नहीं दिखता और हमारी दृष्टि से चंद्रमा पर अँधेरा होता है। इस चरण को बिज़नेस कहा जाता है. वहीं, पूर्णिमा तब होती है, जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी की उल्टी दिशा में दिखाई देते हैं। चंद्रमा कक्षा में बिना विचित्र सौर प्रकाश मिलन के इस बिंदु पर चंद्रमा की धरती की तरफ का भाग चमकता है। दृष्टि से, हमें धरती से देखने पर लगता है कि चाँद पर रोशनी है।

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किस दिन अँधेरा, किस दिन रहती है रोशनी?
यदि हम एक दिन को उस समय के बारे में स्पष्ट रूप से बताते हैं, जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण दृश्य करता है, जिसके बाद सूर्य चंद्रमा के क्षितिज पर एक ही बिंदु पर आता है, तो हर चंद्र दिवस पृथ्वी के 29.5 दिन तक रहता है है. इसका मतलब यह है कि हर कक्षा में दो सप्ताह से छोटे दिन का प्रकाश दिखाई देता है। इसके बाद इतनी ही अवधि तक रात होती है। दूसरे शब्दों में चाँद पर लगभग किसी भी जगह पर दो सप्ताह तक लगातार दिन का उजाला रहता है और उसके बाद दो सप्ताह तक लगातार अँधेरा रहता है।

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चांद के किस हिसासे में हमेशा रहता है अंधेरा?
चांद के ध्रुव इस मामले में अपवाद माने जाते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, लेकिन चंद्रमा का अक्षीय मान केवल 1.6 डिग्री है। एर्गो सैटेलाइट का धुरी हमारे सूर्य से चंद्रमा तक की यात्रा समय सौर प्रकाश के पथ के करीब-करीब जोड़ता है। चाँद के ध्रुवों के करीब कुछ गहरे अभाव हैं, अरब तल पर 2 वर्षों से सूर्य का प्रकाश नहीं देखा गया है। ये चाँद का वो हिसासा है, जहाँ कभी सूरज नहीं दिखता।

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बिना होने के पर्यावरण गर्माहट बनाए रखने के लिए चांद पर दिन से रात के दौरान वर्षा में ज़ोरदार उत्पात- उत्पन्न होता है।

दिन-रात के तापमान में कितना अंतर होता है?
वातावरण के बिना गर्मी बनाए रखने के लिए चांद पर दिन से रात के दौरान बारिश में ज़बरदस्त उत्पात- होता है। चाँद की सतह 260 डिग्री फ़ारेनहाइट अर्थात 127 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाती है। बताया जा रहा है कि ये महल तब बने हैं, जब चांद सूर्य की रोशनी से प्रकाशित हो रहा है। वहीं, जब सतह पर अंधेरा गिर जाता है, तो तापमान -280 डिग्री फ़ारेनहाइट यानी -173 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

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चांद से धरती पर अंधेरा या रोशनी?
अब तक किसी भी अंतरिक्ष यात्री को चांद के तापमान की चरम सीमाओं से दो-चार नहीं होना पड़ा है। नासा के अपोलो मिशन में 1969 से 1972 तक नील आर्मस्ट्रांग और 11 अन्य लोगों को चांद पर भेजा गया था। ये सभी खोजकर्ता चांद पर सुबह ठीक होने के बाद अमेरिका थे। हालाँकि, पहुँचने के समय तक चाँद की सतह का शीर्ष तापमान अपने चरम अर्थात दो के तक नहीं पहुँच पाया था। जैसे हम धरती से चांद के अलग-अलग चरण में आकार परिवर्तन को देखते हैं। ठीक वैसे ही चांद की सतह पर स्टेक एक अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी से गायब हुई देवी दिखाई दी। वहीं, अगर वह पूर्णिमा की रात को गुप्त रूप से देखना चाहता है, तो धरती करीब-करीब पूरी तरह से अंधेरे में डूबी हुई नजर आएगी।

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असली चांद से भी तारे टिमटिमाते हुए दिखेंगे?
पृथ्वी भी चाँद की तरह ही सूर्य की रोशनी को परावर्तित करती है। हालाँकि, चाँद से धरती को देखने पर पृथ्वी से पूरा चाँद 55 गुना अधिक चमकदार दिखता है। पृथ्वी की परावर्तित सूर्य की रोशनी चंद्रमा के सामने की ओर चमकती हुई रोशनी है, भले ही पृथ्वी के इस हिस्से पर दिन का समय हो या रात हो। चाँद में कोई मस्जिद नहीं है और सूरज के निकलने पर भी चाँद के दोनों ओर से तारे दिखाई देते हैं। जैसे चंद्रमा अपने धुरी पर घूमता है और पृथ्वी की झलक दिखाता है, आकाश में तारे दिखाई देते हैं। फिर भी चंद्रमा से देखने पर तारे टिमटिमाते हुए नहीं दिखेंगे। वास्तव में, खगोलीय जगमगाहट पृथ्वी के जीवाश्म के होने का कारण एक प्रकाश ब्रह्माण्ड है। नारियल की रोशनी में हस्तक्षेप करने के कारण पृथ्वी पर कोई पर्यावरण नहीं होने के कारण चंद्रमा पर तारे टिमटिमाते दिखाई नहीं दिए।

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