आईसीसी क्रिकेट विश्व कप फाइनल मैच: क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में रविवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया की भिड़ंत होगी। फाइनल मैच के पीएम नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में खेले जाएंगे, लेकिन पाकिस्तान से करीब 1000 किलोमीटर दूर पाकिस्तान की सीमा से करीब 1000 किलोमीटर दूर पाकिस्तान की सीमा पर स्थित चाक खेड़े वाला गांव में क्यों हलचल है? इसकी वजह है इस गांव का भारतीय टीम से खास कनेक्शन.
भारत-पाक सीमा के करीब क्यों हलचल?
भारतीय क्रिकेट टीम (भारतीय क्रिकेट टीम) के ओपनर और धुआंधार बल्लेबाज शुभमन गिल (शुभमन गिल) मूल रूप से चक खेड़े वाले गांव के ही रहने वाले हैं। उनका परिवार अब चंडीगढ़ में रहता है, लेकिन 87 साल के दादा सरदार दीदार सिंह (सरदार दीदार सिंह) और 75 साल की दादी गुरमेल सिंह भी अब इसी गांव में रहते हैं। गिल का परिवार जमींदारी है. अच्छी-ख़ासी ज़मीन है, लेकिन पुश्तैनी घर बहुत ख़स्ता नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गिल फैमिली ने अपने पुश्तैनी मकान में हाल-फिलहाल में बदलाव किए, कई जगह- झूफोड़ की गई, लेकिन शुभमन गिल की दादी गुरमेल ने आखिरी की उस स्टाइल को नहीं तोड़ा, जहां बचपन में उन्होंने प्रैक्टिस की थी किया था.
सुभमन की दादी का कहना है कि वह तीन साल की उम्र में क्रिकेट खेलते थे। 6 साल की उम्र तक तो पूरा किचन तहस-नहस कर दिया था। सरदार दीदार सिंह कहते हैं कि उसी वर्ष मैं जालंधर में किसान संघ का एक सम्मेलन आयोजित हुआ था। वहां से मैं एक नेट, थ्री बैट, पैड और करीब एक महंगा प्रोटोटाइप बॉल ले आया। यह देखकर शुभमन की खुशी का जादू ही नहीं चल रहा।
अपने दादा-दादी (बाएं) और पिता के साथ शुभमन गिल (दाएं)।
फाइनल मैच के लिए क्या है तैयारी?
सुभमन गिल की दादी ने फाइनल मैच के लिए पूरी तैयारी कर ली है। उदाहरण के लिए कहा गया है कि मैं कुर्सी से उठने तक नहीं। आपको अपनी चाय भी खुद बनानी होगी। पाकिस्तान सीमा से 8 किमी दूर स्थित चक खेड़े वाला गांव के अन्य घरों में भी साहस है। हर कोई अपने-अपने तरीके से शुभमन गिल को याद कर रहा है और भारतीय टीम को शुभकामनाएं दे रहा है।
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स्टेडियम में क्यों नहीं देखते मैच?
सुभमन गिल के दादा-दादी कहते हैं कि हम लोग एक बार आईपीएल का मुकाबला देखने गए थे। वहां इतनी भीड़ थी कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था, इसलिए हमें मैदान में इंटरनेशनल मैच देखना पसंद नहीं आया. टीवी बहुत अच्छा है. इसमें सब साफ-साफ दिखाई देता है। गिल के दादा याद करते हैं, ‘जब मुझे पता चला तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा पोटा एक बड़ा खिलाड़ी बन गया है। वहाँ के बड़े खिलाड़ी और क्रिकेट प्रशंसक मिर मिले, मेरा नामकरण किया गया…’
3 किलो दूध और एक किलो केले…
गिल के दादा सरदार दीदार सिंह कहते हैं कि जब मैं भटका था तो हर दिन 10 किलोमीटर चला था। 300 पुशअप्स लगाए और खेले। हर दिन 3 लीटर दूध पीटा और शेष बचे केले खाता था। शुभमन गिल ने भी लंबे समय तक यही सबमिशन और रूटीन फॉलो किया।

दादा-दादी के लिए क्या मिली थी गिल?
गिल के दादा-दादी कहते हैं कि हाल ही में जब वह घर आया था तो हम लोगों के लिए करीब एक महंगा सिक्का लाया गया था, लेकिन सभी ऐसे ही पड़े हैं। क्योंकि गांव में हम लोग फुटपाथ पहनना ही पसंद करते हैं। वह कहता है कि गिल अपने साथ एक मोटरसाइकिल भी ले आया था, परन्तु वह आज तक वैसा ही है। डिब्बा खुला ही नहीं, क्योंकि गांव में उसकी कभी जरूरत ही नहीं पड़ी।
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पहले प्रकाशित : 19 नवंबर, 2023, 09:59 IST
