WHO का ICD-11: भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, सिद्धा और ग्रीक के एमएक्यूलेटर पर बड़ी पहचान मिल रही है। अब भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन के अंतर्गत बैचलर ऑर्गेनाइजेशन यानी डिस अजीज और पैटर्न की अपनी सबसे क्लासिक सीरीज इंटरनेशनल स्ट्रैडीशनल मेडिसिन के तहत डिजीज में प्रवेश किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है और यह भारत ही नहीं बल्कि देश की चिकित्ससा विचारधारा के लिए बहुत बड़ी बात होगी।
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंटर नेशनल क्लेसस एसोसिएशन ऑफ डिजीज’ के नाम से एक पिरामिड श्रृंखला तैयार की जाती है। जिसमें अभी तक बायोमेडिसिन के माध्यम से इलाज करने वाली स्वास्थ्य सेवा पद्धतियों का ही डेटा दर्ज था। भारत में मौजूद आयुर्वेद, सिद्ध, ग्रीक आश्रम पर आधारित आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों से संबंधित डेटा और शब्दावलियों का समूह इस श्रृंखला में शामिल नहीं था। हालाँकि अब इन पद्धतियों से जुड़ी 529 विकार और वृत्तियाँ शामिल की जा रही हैं।
जानकारी के अनुसार चिकित्ससा पद्धतियों में चुनौती को इस श्रृंखला में ली शुरुआत करना काफी महत्वपूर्ण सिद्धांतपूर्ण होता है। इसका अर्थ है कि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य होने के नाते भारत के अन्य देशों के लिए, अपने देश में शामिल होने के लिए, अपने देश में शामिल होने के लिए, अपने देश में शामिल होने के लिए, प्राइम और कम्यूनिकेशन डेटा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सूचीबद्ध करने के लिए उपस्थित रहें और इसे भी साझा करें। मौजूद है इन डॉक्टरों का इलाज भारत की इन चिकित्सा सेवाओं में उपलब्ध है।
ऐसा होता है ली स्टार्टअप में होने का फ़ायदा
इस ली मॅरॅटिक में मलेरियल जैसिज़ बीमारी और ‘दीर्घकाली इंसाना’ जैसी लाइफ़ स्टाइल एलेकॉलिटरी टीचर को भी शामिल किया जा रहा है। यह पहली बार है जब ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ जैसी मनोवैज्ञानिक बीमारी को भी ICD11 में शामिल किया गया है।
आयुर्वेद, सिद्ध और ग्रीक, त्रिस्तरीय पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञ आमतौर पर वर्टिगो गिडिनेस डिसऑर्डर (मूल नाम) जैसी जनित जाने वाली बीमारी यह बीमारी एक नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है जो आयुर्वेद में ‘भ्रमः’ सिद्ध में ‘अजल किरुकिरुप्पु’ और ग्रीक में सदर-ओ है। -दुवार के नाम से जाना जाता है, इसे भी शामिल किया जा रहा है।
आख़िर होगा फ़ायदा?
ICD-11 के अंतर्गत ऐसी शब्दावली की एक अंतरराष्ट्रीय कोडिंग हो जो कि एशियाड और आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा के ट्रायल के नाम और डेटा टीएम 2 के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोड में सूचित हो जाएं। इसके बाद इन सभी पर भी हॉस्टल की वैकाइल्स रिसर्च होल। वहीं इन चिकित्सीय उपचारों के लिए भी लोग भारत की तरफ रुख करेंगे और यहां के ट्रेडिशनल चिकित्ससा का लाभ ले सकेंगे।
इतना ही नहीं यह प्रयास है भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण व्यवस्था, शोध, आयुष बीमा आयुक्त, अनुसंधान और विकास, नीति-निर्माण व्यवस्था और अधिक अध्ययन और व्यापकता से। इसके साथ ही फ्यूचर के सीक्रेट्स के निर्माण में भी कई गंभीर बोल्टेज पर कोड्स का उपयोग किया जाएगा।
आयुष मंत्रालय ने पूरी तैयारी कर ली है..
आयुष मंत्रालय ने सबसे पहले नेशनल आयुष मोरबीडिटी ऐंड स्टंडरड से आयुर्वेदिक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल (नमस्ते) के माध्यम से आयुर्वेद, सिद्ध, ग्रीक के लिए कोड विकसित किया है। इसके लिए आयुष मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक डोनर एग्रीमेंट (अनुबंध) भी स्थापित किया है। अब 10 जनवरी को आयुर्वेद, सिद्धार्थ, ग्रीक इंजीलियन्स पर आधारित बिल्डरों से संबंधित डेटा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के ICD11 बेल्जियम में शामिल हो उद्देश्य।
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पहले प्रकाशित : 9 जनवरी, 2024, 20:23 IST
