विशाल भटनागर/मेरठ: भारतीय संस्कृति में विभिन्न प्रकार के पेड़ों का भी वर्णन है, जोकी औषधि पर विशेष रूप से कई गंभीर चुनौती को दूर करने में सहायक माने जाते हैं। कुछ इसी तरह का उल्लेख सीता अशोक अर्थात् सारका अशोक के वृक्ष के रूप में भी माना जाता है। कहा जाता है कि इसके छात्र, फूल से लेकर फूल तक अलग-अलग चैलेंज को दूर करने में लगे हुए हैं।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के प्रोफेसर विजय मालिक ने बताया कि हर साल लोगों में पथरी की समस्या देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर सीता अशोक के पेड़ के फूलों को सुखाकर उनके काढ़ा का उपयोग करें, तो किडनी में पथरी से संबंधित उपकरणों का समाधान हो जाएगा। साथ ही बताया कि अक्सर महिलाओं में तरह-तरह के स्वास्थ्य संबंधी पहलू देखने को मिलते हैं। उन समस्याओं को दूर करने में इस पेड़ की मूर्ति काफी अच्छी बनी हुई है। इसका इस्तेमाल महिलाओं द्वारा किया जा सकता है।
यूरिन से संबंधित एसोसिएट्स को दूर ले जाता है छात्र
प्रोफेसर विजय आमिर के, आज के दौर में देखने को मिल रहा है कि यूरिन में संक्रमण होने के कारण भी कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में अगर इसके छात्र, पत्ते का पाउडर बनाया जाए, इसका उपयोग किया जाए, तो यूरिन में विभिन्न प्रकार के संक्रमण संबंधी काम भी शामिल हैं। साथ ही बताया कि धार्मिक दृष्टि से भी यह पेड़ काफी महत्वपूर्ण है। माता सीता अशोक वाटिका में जिस पेड़ के नीचे भूमि थी, उसी पेड़ को सीता अशोक यानी सारिका अशोक कहा जाता है। यह पेड़ भारत के श्रीलंका में अधिक पाया जाता है।
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पहले प्रकाशित : 21 जनवरी 2024, 14:09 IST
