बिट्टू सिंह/सरगुजा:- भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में अपना वनवास काल स्थापित किया था। उस समय प्रदेश को दक्षिण कोसल कहा जाता था। जिस में राम ने वनवास का समय कहा था, उस क्षेत्र का दंडकारण्य क्षेत्र प्रमुख था। यहां खुंखार जंगली जंगल के साथ असुर निवास करते थे। सदियों बाद अब रामजन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर की स्थापना हो रही है। 22 जनवरी के दिन अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सम्माननीय है। लेकिन राम के वनवास के दौरान सरगुजा के मरहठा, जो अब सूरजपुर जिले के प्रतापपुर जिला क्षेत्र में है, में अद्भुत दृश्य आपको देखने को मिलेगा। मान्यता है कि यहां आज भी लक्ष्मण जी के निशान के निशान मौजूद हैं। जब भगवान राम, माँ सीता और लक्ष्मण जी वनवास में आये थे, तब लक्ष्मण जी पानी लेने सरसोर आये थे। उस समय से लेकर अब तक लक्ष्मण जी के निशान मरहठा के पथरीले तार मौजूद हैं।
छत्तीसगढ़ के भांजा हैं राम
भगवान राम से छत्तीसगढ़ के लोगों की अटूट आस्था है। यहां के लोग भगवान राम को अपना भांचा (भांजा) मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि छत्तीसगढ़ त्रेतायुग में कोसल प्रदेश का राजा था, जहां माता कौशल्या का मायका है। यही कारण है कि भगवान राम ने वनवास का सबसे अधिक समय छत्तीसगढ़ में ही दिया था। इस वजह से श्रीराम के साथ छत्तीसगढ़ के लोगों का काफी जुड़ाव है। अयोध्या में हो रहे भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से सरगुजा के लोगों में काफी उत्साह और खुशी का माहौल है।
मरहठा में होती है विशेष प्रकार की पूजा- रत
भगवान लक्ष्मण के पंजों के निशान होने की पुष्टि कई प्रेमियों ने भी की है। इसे लेकर गांव के लोगों में अलग-अलग धार्मिक महत्व है। यहां मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशेष प्रकार की पूजा-अर्चना की जाती है। गांव के लोगों ने बताया कि इस जगह को संरक्षित करने के उद्देश्य से आस-पास के बासी गांव के लोग मिलकर एक मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। आने वाली रचना को भी देख रहे हैं.
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पहले प्रकाशित : 21 जनवरी 2024, 11:30 IST
