कुमार कुमार/झुंझुनू : हर शहर में इलाज के लिए बड़े-बड़े सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल संचालित हैं। जहां एल पैथी, होम पैथी, आयुर्वेदिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों से उपचार किया जा रहा है। इन सभी में भोजन और अन्य नी का उपयोग करके विशिष्टता को लाभ दिया जाता है। लेकिन कई ऐसी पद्धतियां भी विकसित हो चुकी हैं, जिनकी मदद से बिना दवा के भी बहुत कुछ ठीक किया जा रहा है। झुंझुनू के मंडावा मोड़ पर स्थित सेराजेम इसका एक उदाहरण है। जहां पर सिर्फ थेरेपी के द्वारा ही लोगों को अलग-अलग प्लांट से लेकर प्लांट तक की सुविधाएं दी जा रही हैं।
सेराजेम के बारे में अधिकतर जानकारी देते हुए सेराजेम के सरगना रेहान ने बताया कि सेराजेम 2013 झुंझुनू में संचालित है। सेराजेम सेंटर में आने वाले नेशनल को थेरेपी की मदद से ठीक किया जाता है, जहां किसी भी प्रकार की जांच की जाती है और किसी दवा का उपयोग नहीं किया जाता है। सेराजेम में आधुनिक मशीनें लोगों द्वारा दी जाती हैं जिससे लोगों को अलग-अलग प्रकार के प्लांटों से लेकर उपकरण मिलते हैं।
रीड की हड्डी पर मशीन से दी जाती है मशीन
थेरेपी के बारे में जानकारी देते हुए रेहान ने बताया कि इसमें मुख्य रूप से रीड की हड्डी पर दवा का इस्तेमाल किया जाता है। सेराजेम सेंटर में काम करने के लिए ली जा रही मशीन का उपयोग रीड की हड्डी पर ही किया जाता है, जिसमें शरीर के तंत्रिका तंत्र को सक्रिय किया जाता है। जिस शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के विभिन्न प्रकार के आराम के केंद्र में ऐसे भी लोग आते हैं, जिन्हें चालू करने के लिए लोगों की मदद की जरूरत होती है। केंद्र में आने के कुछ समय बाद ही उन लोगों में प्रशिक्षुता का सुधार हुआ है और ऐसे कई उदाहरण हैं जो अब खुद केंद्र पर आते हैं, थेरेपी मशीनें हैं। यहां पर ली जा रही मशीन निर्माता है।
सीएसआर प्रोग्राम में भी संस्था ले रही हिस्सा
सीराम संस्था के बारे में जानकारी देते हुए रेहान ने बताया कि यह संस्था देश केएसआर कार्यक्रम में भी भाग ले रही है। इस संस्थान के तहत देश के 10 से अधिक स्कूलों को गोद लेकर नए तरीके से रिनोवेट करके कलाकारों की टुकड़ी की स्थापना की गई है। यह केंद्र झुंझुनू के मंडावा मोड़ पर स्थित है।
केंद्र के समय के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह सुबह 7:30 बजे से शुरू होकर शाम 5:00 बजे तक संचालित होता है। जिसमें अलग-अलग बच्चों को इन सोसायटी से थेरेपी दी जाती है। जिसमें एक दिन में 14 बच्चे शामिल हैं। एक बैग में 22 लोग मशीन का उपयोग किया जाता है।
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पहले प्रकाशित : 22 जनवरी, 2024, 20:16 IST
