रामकुमार नायक, रायपुरः भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय पर्व महाशिवरात्रि पर लोगों में भक्ति और उल्लास की छाया रहती है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वैसे तो उत्तर दिशा में भगवान भोलेनाथ के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें से एक बूढ़ा तालाब के सामने स्थित है बूथेश्वर महादेव मंदिर। जहां पर दर्शन करने की विशेष महत्ता है।
इस मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि पर प्रातःकाल शिवलिंग पर भस्म आरती की जाती है। बनारस, मिश्नूर और रामाधार जैसे ज्योतिर्लिंग से भस्म का लेप किया जाता है। सुबह से दोपहर तक जलाभिषेक और शाम को भांग, धतूरा, चांदी, मलाईपान के बर्क से बनाया जाता है। आप भी भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में दर्शन कर अपना मन पूरी तरह कर सकते हैं।
इतिहास 100 वर्ष पुराना
बूटेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी महेश पांडे ने बताया कि बूथेश्वर महादेव का इतिहास 100 वर्ष पुराना है। यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन से ही भक्तों का मन फलित होता है। इसलिए आए दिन अनंत समर्थकों की संख्या बढ़ती जा रही है। भगवान बूबेश्वर का यह मंदिर राजधानी रायपुर के समुद्र तटों के बीच बूढ़ापारा में बूढ़ातालाब के पास स्थित है। प्राचीन काल में राजा ब्रम्हदेव ने जनजातीय समाज के लोगों को एकत्रित कर वृद्धदेव की स्थापना की थी। जो आर्थिक स्थिति से संभल नहीं पाया तो उसने सर्व समाज को चौंका दिया।
भोलेनाथ के कई रूप
पुजारी ने बताया कि जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है और आज एक भव्य मंदिर के रूप में भगवान महादेव का मंदिर जाना जाता है। यहां भगवान भोलेनाथ बोबेश्वर महादेव के मंदिर के रूप में स्थित हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि विद्वान स्वयंभू है। मान्यता है कि यहां भगवान भोलेनाथ के कई रूप में दर्शन दिए जाते हैं। ध्यानमग्न दर्शन से कभी लाल, कभी गुलाबी जैसे अनेक प्रकार के रूप में दर्शन देंगे।
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पहले प्रकाशित : 8 मार्च, 2024, 10:09 IST
